Jamshedpur News: जमाना बदल रहा है. बदलाव की इस बयार में गुरु-शिष्य के संबंधों की गांठ पर भी असर पड़ा है. शारदामणि गर्ल्स हाई स्कूल की घटना के बाद समाज में तमाम तरह की चर्चाएं हो रही हैं. पुलिसिया कार्रवाई से जहां शिक्षक समाज भयभीत है, वहीं पीड़िता के साथ भी लोगों का भावनात्मक जुड़ाव है. सभी रितु मुखी की सकुशल वापसी की कामना कर रहे हैं. इस पूरे घटनाक्रम में एक बात जो निकल कर सामने आयी वह इशारा करती है कि शिक्षक व विद्यार्थियों के बीच संवादहीनता बढ़ी है.
इस संवादहीनता व एक-दूसरे पर विश्वास की कमी की वजह से कई बार अनहोनी घटनाएं घट रही हैं, जो दुखद है. सिर्फ परीक्षा पास करने के बजाय बेहतर शैक्षणिक व्यवस्था कैसे बने, बच्चों के भविष्य निर्माण में तीनों स्टेक होल्डर ( अभिभावक, शिक्षक व विद्यार्थियों ) की आपस में कैसे रिश्ते की डोर मजबूत हो, कैसे इसमें सुधार हो सकता है ? उक्त तमाम सवालों की पड़ताल करने का प्रयास प्रभात खबर ने किया. प्रभात खबर ने सोमवार को एक सर्वे किया, जिसमें कई चौंकाने वाले तथ्य उभर कर सामने आये.
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प्रभात खबर की ओर से शहर के 100 अलग-अलग क्षेत्र के लोगों से पांच सवाल पूछे गये. इसमें शिक्षाविद्, अधिवक्ता, अभिभावक, नेता, शिक्षा विभाग के कर्मी, नौकरी-पेशा वाले लोगों के साथ ही युवाओं को शामिल किया गया था. 100 के सैंपल साइज के इस सर्वे में शहर के टिस्को के साथ ही गैर टिस्को क्षेत्र के लोगों को भी शामिल किया गया था. सभी ने लिखित रूप से प्रभात खबर के सर्वे का जवाब दिया. साथ ही गुरु-शिष्य के रिश्ते में सुधार के कई सुझाव भी दिये.
क्या शिक्षकों और छात्रों के रिश्ते खराब हो रहे हैं ?
76 फीसदी ने माना कि हां गुरु-शिष्य के रिश्ते खराब हो रहे हैं.
क्या दबाव में शिक्षक बेहतर शिक्षण कार्य कर पायेंगे?
90 फीसदी ने माना कि नहीं दबाव में शिक्षक बेहतर कार्य नहीं कर पायेंगे.
क्या अभिभावक अब ज्यादा प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं?
84 फीसदी ने माना कि हां, अब पहले की तुलना में अभिभावक ज्यादा प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं.
क्या शारदामणि स्कूल में हुई घटना में शिक्षिका दोषी ?
लोगों ने माना कि नहीं, इस घटना में शिक्षिका ही दोषी नहीं है.
प्रभात खबर सर्वे के दौरान शिक्षकों से बातचीत के क्रम में यह बात उभर कर सामने आयी कि शारदामणि गर्ल्स हाइ स्कूल की घटना के बाद शिक्षक समाज चिंतित व भयभीत है. नाम नहीं छापने की शर्त शिक्षकों ने कहा कि वे पहले बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित रहते थे. उन्हें होमवर्क नहीं करने पर डांटते-फटकारते थे, कभी-कभार थप्पड़ भी मारते थे. ऐसा कर उन्हें बहुत अच्छा नहीं लगता था, लेकिन वे बच्चे की बेहतरी के लिए करते थे. लेकिन अगर डांट-फटकार या एक थप्पड़ की वजह से बच्चा अगर कुछ कर लेता है तो फिर शिक्षक की पूरी जिंदगी बर्बाद होती दिख रही है. शिक्षक इसे समाज व बच्चों के भविष्य के लिए बेहतर नहीं करार दे रहे हैं.