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बिहार में KCC देने में बैंक उदासीन, लक्ष्य का 16.09% ही बांटा गया, जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच रही है योजना

बिहार में केसीसी योजना लक्ष्य से काफी पीछे चल रही है. चालू वित्तीय वर्ष के छह महीने बित जाने के बाद भी नये KCC लक्ष्य 375035 का 16.09% ही बन पाये हैं. वहीं, दूसरी तरफ बैंकों का तर्क है कि केसीसी के मामले में नन परफार्मिंग असेट (एनपीए) लगातार बढ़ रहे हैं.

पटना. किसानों को साहूकार के कर्ज से मुक्ति दिलाने के लिए शुरू की गयी किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) योजना जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पा रही है. बैंकों के ढुलमुल रवैये के कारण वर्ष 2022-23 में केसीसी योजना लक्ष्य से काफी पीछे चल रही है. चालू वित्तीय वर्ष के छह महीने बित जाने के बाद भी नये केसीसी लक्ष्य 375035 का 16.09% ही बन पाये हैं.

एनपीए के भी बढ़ रहे हैं मामले

दूसरी तरफ बैंकों का तर्क है कि केसीसी के मामले में नन परफार्मिंग असेट (एनपीए) लगातार बढ़ रहे हैं. इसलिए बैंक केसीसी देने में फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं. पूरे राज्य में कुल 38.70 लाख किसानों को केसीसी दिये गये हैं , जिसमें से 16.64 लाख किसानों के पास बैंक का 11566 करोड़ रुपये बकाया हो गया है,यानी एनपीए हो गया. राज्य में केसीसी मामले में बैंक का एनपीए बढ़कर 44.77% हो गया है.

कम ब्याज दर पर लोन उपलब्ध केसीसी का है उद्देश्य

केसीसी के तहत किसानों को कितनी राशि और किस ब्याज दर पर मिलती है. केसीसी का मुख्य उद्देश्य किसानों को कम ब्याज दर पर लोन उपलब्ध कराना है. कम ब्याज दर पर लोन दिये जाते हैं, भुगतान की शर्तें भी आसान होती हैं. बैंक 1.60 लाख रुपये तक के लोन पर सुरक्षा/ सेक्योरिटी नहीं मांगते हैं. कार्ड धारक द्वारा अधिकतम 3.00 लाख रुपये तक का लोन लिया जा सकता है. ब्याज दर 4% निधर्रित किया गया है. हालांकि समय पर लोन चुकता नहीं करने पर ब्याज की दरें बढ़ जाती है.

80 लाख किसानों को मिला बड़ा तोहफा

बता दें कि PM Narendra Modi ने दिवाली से पहले बिहार के 80 लाख किसानों को बड़ा गिफ्ट दिया है. पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत सोमवार को राशि जारी कर दी गयी है. इससे किसानों के खाते में एक बटन दबाने के साथ 2000 की राशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से किसानों के खाते में ट्रांसफर हो गयी है. कृषि विभाग की तरफ से बताया गया है कि खाते में पैसा जाने का मैसेज किसानों के रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर चला जाएगा. अगर किसी किसान को सही समय पर मैसेज नहीं मिलता है तो वो हेल्पलाइन नंबर पर इसके बारे में जानकारी ले सकता है.

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