Diwali 2022: हिन्दू धर्म में दिवाली के त्योहार का विशेष महत्व है. दिवाली का त्योहार धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज तक चलता है और इसकी तैयारियां धनतेरस से पहले ही शुरू हो जाती हैं. हिंदू धर्म में दिवाली को सुख-समृद्धि का त्योहार मानते हैं. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी अपने भक्तों के घर पर आती है और उन्हें धन-धान्य का आशीर्वाद प्रदान करती हैं.
कहा जाता है कि दिवाली के दिन ही प्रभु श्रीराम लंकापति रावण पर विजय प्राप्त कर अयोध्या लौटे थे. 14 वर्ष का वनवास पूरा करने के बाद भगवान राम अयोध्या लौटे थे, जिसकी खुशी में लोगों ने पूरे अयोध्या को दीयों को रोशनी से सजा दिया था. तभी से पूरे देश में दिवाली मनाई जाती है. इस दिन लोग दीपक जलाकर खुशियां मनाते हैं और मां लक्ष्मी की अराधना करते हैं.
लक्ष्मी-गणेश पूजन का शुभ मुहूर्त – शाम 06 बजकर 54 मिनट से 08 बजकर 16 मिनट तक
लक्ष्मी पूजन की अवधि-1 घंटा 21 मिनट
प्रदोष काल – शाम 05 बजकर 42 मिनट से रात 08 बजकर 16 मिनट तक
वृषभ काल – शाम 06 बजकर 54 मिनट से रात 08 बजकर 50 मिनट तक
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लक्ष्मी पूजा मुहूर्त्त – रात 11 बजकर 40 मिनट से लेकर 12 बजकर 31 मिनट तक
अवधि – 50 मिनट तक
सायंकाल मुहूर्त्त (अमृत,चल):17:29 से 19:18 मिनट तक
रात्रि मुहूर्त्त (लाभ) :22:29 से 24:05 मिनट तक
रात्रि मुहूर्त्त (शुभ,अमृत,चल):25:41 से 30:27 मिनट तक
शंख, कमल का फूल, गोमती चक्र, धनिया के दाने, कच्चा सिंघाड़ा, मोती, कमलगट्टे का माला
हर वर्ष कार्तिक अमावस्या के दिन दिवाली मनाई जाती है. इस दिन सुबह से पूजा की तैयारियां शुरू हो जाती है. पूरे घरों को रंगोली और प्रकाश से सजाया जाता है और दिवाली की शाम और रात को शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी और भगवान गणेश, मां सरस्वती और कुबेर देवता की अराधना की जाती है. मां लक्ष्मी की विशेष कृपा पाने के लिए पूजन करने की परंपरा है. आइए जानते हैं दिवाली पर कैसे करें लक्ष्मी पूजा-
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दिवाली के दिन सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर घर और पूजा स्थल की साफ-सफाई दोबारा से करें. फिर पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें और घर के मुख्य द्वार पर रंगोली जरूर बनाएं.
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शाम को पूजा मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए पूजा स्थल पर एक चौकी रखें और फिर उसके ऊपर लाल कपड़ा बिछाएं, जहां मां लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करनी है.
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चौकी पर लाल कपड़ा बिछाने के बाद उसके ऊपर नई लक्ष्मी-गणेश, भगवान कुबेर और मां सरस्वती की प्रतिमा को स्थापित करें.
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जिसके बाद प्रतिमा के सामने कलश में जल भरकर और आम की पत्तियां लगाकर रखें.
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मां लक्ष्मी और भगवान गणेश के साथ सभी देवी-देवताओं का अवाहन करते हुए सभी मूर्तियों का पर तिलक लगाएं और दीपक जलाकर जल, मौली, जनेऊ, अक्षत, फल, हल्दी और पुष्प अर्पित करते हुए मां लक्ष्मी की स्मरण करें.
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देवी लक्ष्मी की स्मरण के बाद देवी सरस्वती, मां काली, भगवान विष्णु और कुबेर देव की भी विधि-विधान के साथ पूजा करें.
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दिवाली पर महालक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते समय घर पर मौजूद सभी सदस्यों को वहां पर एकत्रित होना आवश्यक है.
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मां लक्ष्मी की पूजन के बाद घर की तिजोरी, बहीखाते, पुस्तकों और व्यापारिक संसाधनों की भी पूजा करें.
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अंत में घर के हर एक हिस्से में घी और तेल का दीपक जलाकर घर को रोशन करें और प्रसाद बांटे
ॐ श्रीं श्रीयै नम:
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः॥
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
कुबेर प्रार्थना मंत्र-धनदाय नमस्तुभ्यं निधिपद्माधिपाय च। भगवान् त्वत्प्रसादेन धनधान्यादिसम्पद:।।
ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नमः।।
श्री लक्ष्मी बीज मंत्र
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः॥
सर्वमये देवि सर्वदेवैरलड्कृते।
मातर्ममाभिलाषितं सफलं कुरु नन्दिनी।।