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महंगाई पर और नियंत्रण की जरूरत

रिजर्व बैंक की नीति व सरकारी प्रयासों से महंगाई पर कुछ नियंत्रण हुआ है. स्पष्ट दिख रहा है कि त्योहारी सीजन के बावजूद खाद्य वस्तुओं की महंगाई काबू में है, जबकि खुले बाजार में सरकारी गोदामों से 80 लाख टन से अधिक खाद्यान्न की बिक्री से गेहूं व चावल के मूल्य में गिरावट का रुख है.

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 16 अक्तूबर को वांशिगटन में कहा कि वैश्विक भू-राजनीतिक वजहों से निर्मित आर्थिक व वित्तीय चुनौतियों के बीच भारत की विवेकपूर्ण आर्थिक रणनीति से भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत है और महंगाई भी बहुत कुछ नियंत्रित है. बीते सप्ताह राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी महंगाई के आंकड़ों के मुताबिक सितंबर, 2022 में खुदरा मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति बढ़ कर 7.41 फीसदी हो गयी, जो अगस्त में सात फीसदी थी.

यह इजाफा मुख्य रूप से खाने-पीने की चीजों के दाम बढ़ने से हुआ है. थोक महंगाई दर सितंबर में 10.7 फीसदी दर्ज की गयी है. अगस्त में यह आंकड़ा 12.41 फीसदी था. बाजार में महंगाई का खास संबंध खुदरा मुद्रास्फीति से होता है. अतएव अब खुदरा मुद्रास्फीति भी कम हो सकती है. उल्लेखनीय है कि तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक प्लस द्वारा कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती के निर्णय से 12 अक्तूबर को इसकी कीमत 99 डॉलर प्रति बैरल के आसपास हो गयी. इससे भी महंगाई बढ़ी है.

महंगाई का एक प्रमुख कारण डॉलर के मुकाबले रुपये का कमजोर होना भी है. एक डॉलर की कीमत 12 अक्तूबर को 82.30 रुपये के निचले स्तर पर पहुंच गयी. इससे न केवल कच्चे तेल की महंगी कीमत चुकानी पड़ रही है, बल्कि कारोबारियों के लिए कच्चा माल भी महंगा हो गया है. लंबे समय से खाद्य तेलों में भी तेजी है. अमेरिका, ब्रिटेन व अन्य यूरोपीय देशों के साथ विभिन्न विकसित और विकासशील देशों में महंगाई हाहाकार मचा रही है.

ऐसे में भारत में महंगाई बहुत कुछ नियंत्रित कही जा सकती है, लेकिन त्योहार के इन दिनों में महंगाई आम आदमी के लिए चिंता का कारण बन गयी है. हाल में भारतीय रिजर्व बैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में महंगाई में कुछ कमी आयी है, लेकिन अब भी महंगाई दर सहन क्षमता के ऊपर है. रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2022-23 में इसके 6.7 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है. अगले वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति नियंत्रण में आ जायेगी और इसका स्तर 5.2 फीसदी तक रहने की उम्मीद है.

इस समय जब रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन-ताइवान तनाव और वैश्विक आपूर्ति शृंखला में अवरोधों और ओपेक प्लस देशों द्वारा कच्चे तेल के उत्पादन में कमी से लगभग सभी देशों में महंगाई दर दो-तीन दशकों में रिकॉर्ड स्तर पर है. भारत में महंगाई नियंत्रण के लिए रिजर्व बैंक नरम मौद्रिक नीति से पीछे हट कर नीतिगत दरों में वृद्धि की रणनीति पर आगे बढ़ा है. रिजर्व बैंक की नीति व सरकारी प्रयासों से महंगाई पर कुछ नियंत्रण हुआ है.

स्पष्ट दिख रहा है कि त्योहारी सीजन के बावजूद खाद्य वस्तुओं की महंगाई काबू में है, जबकि खुले बाजार में सरकारी गोदामों से 80 लाख टन से अधिक खाद्यान्न की बिक्री से गेहूं व चावल के मूल्य में गिरावट का रुख है. आम तौर पर सितंबर में आलू व प्याज की कीमतें सातवें आसमान पर पहुंच जाती थीं, पर इस बार सरकारी तैयारियों के तहत बफर स्टॉक बनाये जाने से इनकी पर्याप्त उपलब्धता है.

सरकार के चार प्रमुख रणनीतिक कदम स्पष्ट दिख रहे हैं. रूस से कच्चे तेल का सस्ता आयात, रिजर्व बैंक के महंगाई नियंत्रण के रणनीतिक उपाय, पर्याप्त खाद्यान्न भंडार एवं कमजोर वर्ग को खाद्यान्न की निशुल्क आपूर्ति तथा पेट्रोल में एथेनॉल का अधिक उपयोग. रूस-यूक्रेन युद्ध पर पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद भारत द्वारा तटस्थ रुख अपनाने का एक बड़ा फायदा भारत को रूस से सस्ते कच्चे तेल के रूप में मिल रहा है.

वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही (अप्रैल से जून) में तेल के कुल आयात में रूस की हिस्सेदारी पिछले वर्ष की इसी अवधि के 2.02 फीसदी से बढ़कर करीब 12.9 फीसदी हो गयी है, जबकि अमेरिका की हिस्सेदारी 9.2 फीसदी से घटकर 5.4 फीसदी रह गयी है. नये आंकड़ों के मुताबिक इस समय भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल का आयातक और उपभोक्ता देश है.

भारत को इराक द्वारा भी कच्चे तेल में बड़ी छूट की पेशकश की जा रही है. पेट्रोल और डीजल में एथेनॉल का मिश्रण बढ़ाकर भी ईंधन की कीमतों में कमी लाने का सफल प्रयास हुआ है. वर्ष 2014 में पेट्रोल में एथेनॉल मिश्रण बमुश्किल 1.4 फीसदी था, जबकि इस वर्ष 10.6 फीसदी मिश्रण किया जा रहा है, जो लक्ष्य से कहीं ज्यादा है.

जहां महंगाई को घटाने के लिए कई वस्तुओं पर आयात शुल्क घटाने की रणनीति के साथ वैश्विक जिंस बाजार में भी कीमतों में आयी कुछ नरमी अहम है, वहीं महंगाई को घटाने में देश में अच्छी कृषि पैदावार, पर्याप्त खाद्यान्न भंडार, गेहूं तथा चावल के निर्यात पर उपयुक्त नियंत्रण की नीति और आम आदमी तक खाद्यान्न की निशुल्क आपूर्ति भी प्रभावी रही हैं. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक फसल वर्ष 2021-22 के चौथे अग्रिम अनुमान के मुताबिक देश में कुल खाद्यान्न उत्पादन करीब 31.57 करोड़ टन के रिकॉर्ड स्तर पर रहा है.

एक जुलाई, 2022 को देश के केंद्रीय पूल में 8.33 करोड़ टन खाद्यान्न (गेहूं एवं चावल) का बफर और आवश्यक भंडार संचित पाया गया है. अस्सी करोड़ गरीबों के लिए मुफ्त राशन की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना को तीन महीने के लिए और बढ़ाने से भी कुछ राहत मिली है.

लेकिन अभी आम आदमी को राहत देने के लिए महंगाई को छह फीसदी के स्तर पर लाने के लिए कई और कारगर प्रयासों की जरूरत है. अब देश में कच्चे तेल के अधिक उत्पादन व कच्चे तेल के विकल्पों पर ध्यान देना होगा. इलेक्ट्रॉनिक वाहनों के साथ अन्य हाईब्रिड वाहनों के उपयोग को प्रोत्साहन देना होगा. सरकार के द्वारा ई-कारों की तरह हाईब्रिड कारों पर भी जीएसटी घटाया जाना लाभप्रद होगा. सरकार द्वारा पेट्रोल व डीजल से चलने वाली कारों को हतोत्साहित करते हुए ग्रीन ईंधन वाले वाहनों को प्रोत्साहित करना होगा.

अभी रूस से कच्चे तेल के आयात में और वृद्धि करना लाभप्रद होगा. अभी रेपो रेट में कुछ और वृद्धि कर अर्थव्यवस्था में नकद प्रवाह को कम किया जाना उपयुक्त होगा. देश में महंगाई को रोकने के लिए अनावश्यक आयात को भी नियंत्रित करना होगा. यह भी जरूरी है कि 2023-24 के आगामी केंद्रीय बजट को वृद्धि की गति बरकरार रखने और महंगाई को ध्यान में रखते हुए बहुत सावधानी से तैयार किया जाए.

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