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Bilkis Bano Case: गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा, बताया दोषियों को क्यों किया रिहा

Bilkis Bano Case: गुजरात सरकार ने 11 दोषियों को रिहा करने के अपने फैसले का बचाव करते हुए सुप्रीम कोर्ट में दायर किए गए अपने हलफनामे में कहा कि इन सभी का जेल में व्यवहार अच्छा पाया गया और इसी के आधार पर उन्हें रिहा करने का फैसला किया गया.

Bilkis Bano Case: बिलकिस बानो केस के दोषियों की समय पूर्व हुई रिहाई के मामले में गुजरात सरकार ने आज सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया. मामले में गुजरात सरकार ने 11 दोषियों को रिहा करने के अपने फैसले का बचाव करते हुए अपने हलफनामे में कहा कि इन सभी ने जेल में 14 साल की सजा पूरी कर ली थी. जेल में उनका व्यवहार भी अच्छा पाया गया और इसी के आधार पर उन्हें रिहा करने का फैसला किया गया.

15 अगस्त को दोषियों को किया गया था रिहा

इससे पहले, सु्प्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से दो सप्ताह में दोषियों की रिहाई से जुड़े सभी दस्तावेज कोर्ट में पेश करने को कहा था. बताते चलें कि इस मामले में दोषी ठहराए गए ग्यारह लोगों को 15 अगस्त को गोधरा उप कारा से रिहा कर दिया गया था. गुजरात सरकार ने अपनी छूट नीति के तहत उनकी रिहाई की अनुमति दी थी. इन्होंने जेल में 15 साल से अधिक समय पूरा किया था.

जानिए पूरा मामला

उल्लेखनीय हो कि गुजरात के 2002 के दंगे के दौरान बिलकिस बानो नामक मुस्लिम महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया गया था. साथ ही उसकी आखों के सामने परिवार के 5 सदस्यों की हत्या कर दी गई थी. इस मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे ग्यारह दोषियों को बीते माह रिहा कर दिया गया है. दोषियों की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी.

जानिए किस आधार पर हुई दोषियों की रिहाई?

संविधान के अनुच्छेद 72 और 161 में राष्ट्रपति और राज्यपाल के पास कोर्ट से सजा पाए दोषियों की सजा को कम करने, माफ करने और निलंबित करने की शक्ति है. दरअसल, कैदी राज्य का विषय होते हैं. इस वजह से राज्य सरकारों के पास भी दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) की धारा 432 के तहत सजा माफ करने का अधिकार है. हालांकि, सीआरपीसी की धारा 433A में राज्य सरकार पर कुछ पाबंदियां भी लगाई गई हैं. इसके तहत, फांसी या उम्रकैद की सजा पाए दोषी को तब तक जेल से रिहा नहीं किया जा सकता है, जब तक उसने कम से कम 14 साल की कैद की सजा नहीं काट ली हो.

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