Dhanbad News: ओडीएफ की होड़ में तोपचांची प्रखंड के मदैयडीह पंचायत में घर की जगह खेत में शौचालय बना दिया गया. कागज पर ओडीएफ घोषित हो चुके इस पंचायत में आज भी लोग खुले में शौच करने को विवश हैं. महिलाओं को अंधेरा होने का इंतजार करना पड़ता है. इस पंचायत को ओडीएफ कराने के लिए तत्कालीन बीडीओ विजय कुमार को नांको-चने चबाने पड़े थे. खुले में शौच जाने वालों को गुलाब का फूल दे कर उन्हें ऐसा न करने की अपील की जा रही थी. पंचायत को ओडीएफ कर सौ प्रतिशत शौचालय का डाटा एसबीएम की वेबसाइट पर अपलोड कर अधिकारियों ने अपना पल्ला झाड़ लिया.
पंचायत के जानकी महतो, पितला महतो, भूसका महतो, हरखू मंडल का शौचालय आनन-फानन में उसके घर से आधे किलोमीटर की दूरी पर खेत में बना दिया गया. रविवार को प्रभात खबर टीम ने गांव में जा पड़ताल की. पाया कि दूर दूर तक किसी का घर शौचालयों के पास नहीं है. जिस शिवचरण महतो का झोपड़ी नुमा खपरैल घर खेत में था, उसका शौचालय नहीं बनाया गया. पंचायत में कुल 1322 शौचालय का निर्माण कराया गया. प्रति शौचालय 7200 रुपये केंद्र सरकार व 4800 रुपये राज्य सरकार ने लाभुक को प्रोत्साहन राशि के रूप में दिया था. लेकिन मुखिया, जल सहिया व एसबीएम के पदाधिकारियों की मिलीभगत से सभी शौचालयों का निर्माण ठेकेदार से कराया गया. जबकि यह काम लाभुकों को खुद करना था.
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तीन साल पहले पंचायत को ओडीएफ करने के लिए प्रखंड का पूरा महकमा लगा हुआ था. लेकिन समय के साथ सब कुछ बदल गया. अधिकांश शौचालयों में ग्रामीण जलावन का गोयठा, लकड़ी, कोयला, बिचाली आदि रखते हैं. कुछ शौचालयों में पानी नहीं होने के कारण उसमें ताला लटक रहा है. फेज टू में ग्रामीण शौचालय के लिए ऑन लाइन आवेदन कर रहे हैं. तीन शौचालयों को एक ही साथ जोड़ कर बना दिया.
ठेकेदार ने तीन शौचालयों को दूर खेत में एक साथ जोड़कर बना दिया. यहां पानी भी नहीं है. शौचालयों के आगे सोख्ता गड्ढा खोद कर पूरा नहीं किया गया. राशि की बंदरबाट का आलम ऐसा है कि खेत में बने शौचालयों के दरवाजे, पैन, नल आदि सब गायब हैं. मदैयडीह के अधिकांश लोग आज भी खुले में शौच करते हैं.
मेरे घर में शौचालय नहीं बना है. खुले में शौच जाने के लिए विवश हैं. सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में शौचालय के लिए आवेदन देंगे. प्रशासन को इस पर काम करना चाहिए. घर में शौचालय नहीं रहने पर रात के अंधेरे व अहले सुबह शौच के लिए जाना पड़ता है. खेतों में धान लगने के बाद कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है. पांच साल पहले दो भाइयों के घर के बीच एक शौचालय घर के आंगन में ठेकेदार ने बनाया था. बनने में जितना समय लगा, उससे जल्दी ही वह धंस गया. अब भी खुले में शौच जाना पड़ता है.