पटना. अपने को हाइकोर्ट का जज बता डीजीपी को फोन कर गया के पूर्व एसएसपी आदित्य कुमार को क्लीन चिट देने का दबाव बनाना एक युवक को भारी पड़ गया. दरअसल अभिषेक अग्रवाल नाम के व्यक्ति ने डीजीपी को फोन कर आइपीएस अधिकारी पर दर्ज मुकदमे में क्लीन चिट देने का दबाव बनाया था.
पूर्व एसएसपी आदित्य कुमार के खिलाफ गया के फतेहपुर थाना में शराबबंदी कानून का उल्लंघन कराने का मामला दर्ज है. इसी आरोप में उनको गया से हटाया गया था. अब फोन करने के मामले में पूर्व एसएसपी आदित्य कुमार समेत पांच पर प्राथमिकी दर्ज की गयी है. इओयू ने रविवार को इस मामले में अभिषेक कुमार और तीन अन्य काे गिरफ्तार किया है. आइपीएस अधिकारी फरार बताये जा रहे हैं. हालांकि पूरे मामले में आर्थिक अपराध इकाई ने आधिकारिक तौर पर कुछ भी बताने से इंकार किया है.
पिछले दिनों डीजीपी एसके सिंघल के पास एक फोन आया. फोन करने वाले ने खुद को पटना हाइकोर्ट का सीनियर जज बताया. उसने डीजीपी को आइपीएस के खिलाफ गया में दर्ज कांड में क्लीन चिट देने का निर्देश दिया. फोन करने वाले ने इस तरह से बात की कि थोड़ी देर के लिए डीजीपी दबाव में आ गये. शक होने पर उन्होंने शनिवार को आर्थिक अपराध इकाई को जांच कर कार्रवाई करने के निर्देश दिये.
आर्थिक अपराध इकाई ने इस मामले की जांच में तेज तर्रार डीएसपी और इंस्पेक्टर आदि को लगाया. इस टीम ने 24 घंटे में पूरे मामले का खुलासा कर दिया. टीम ने पटना के नागेश्वर कॉलोनी निवासी अभिषेक अग्रवाल, पटना सिटी के गौरव राज, शुभम कु़मार और बोरिंग रोड में मोबाइल की दुकान करने वाले राहुल जायसवाल को गिरफ्तार कर लिया. डीजीपी से बात करने में इस्तेमाल किये गये फोन और सिम कार्ड को जब्त कर इसकी फॉरेंसिक जांच करायी गयी. मामला डीजीपी से जुड़ा होने के कारण चंद घंटों में ही जांच रिपोर्ट से साबित हो गया कि अभिषेक ने ही जज बन कर फोन किया था.
अभिषेक ने इओयू को बताया कि आइपीएस आदित्य कुमार को बचाने के लिए उसने डीजीपी को फोन किया था. इसके लिए उसने राहुल से सिम कार्ड की मांग की थी. राहुल ने अपने यहां काम करने वाले पटना सिटी निवासी शुभम से किसी तरह फर्जी तरीके से सिम निकालने को कहा. शुभम ने गौरव के जरिये यह सिम उपलब्ध कराया. अभिषेक अग्रवाल टाइल्स का कारोबार करता है. आइएएस बनकर फोनकर रौब दिखाने के एक मामले में दिल्ली पुलिस उसे जेल भेज चुकी है. अभिषेक कभी मंत्री का करीबी तो कभी कुछ बनकर बड़े-बड़े लोगों को ठग चुका है. इसमें आइपीएस अधिकारी भी उसका शिकार हो चुके हैं. सभी को धोखाधड़ी, फर्जी नाम से फोन करने व साइबर केस में जेल भेज दिया गया है.