मुजफ्फरपुर. उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक से हुए 100 करोड़ गबन के केस का शनिवार को नगर डीएसपी राघव दयाल ने समीक्षा की. काजीमोहम्मदपुर थाने में बैंक के आठ अधिकारियों के खिलाफ 24 मार्च 2022 को कोर्ट परिवाद के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी. आइओ संजीव कुमार दूबे से डीएसपी ने केस से संबंधित पूरी जानकारी ली. बैंक का जो 100 करोड़ गबन हुआ, वो रुपये किस- किस मद में फर्जीवाड़ा करके निकाला गया था. उसकी जानकारी ली. साथ ही इस केस में जो आरोपी बनाए गए हैं, उनकी क्या भूमिका रही है, इस संबंध में भी जांच की जा रही है.
डीएसपी ने कहा कि पूरे मामले की जानकारी जुटाने के बाद आइओ को जांच को आगे बढ़ाने का निर्देश दिया जाएगा. पुलिस के रिकॉर्ड के अनुसार, काजीमोहम्मदपुर थाने में बीते 24 मार्च को पूर्व ऑडिटर नवनीत कुमार के कोट परिवाद पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी. इसमें पूर्व चेयरमैन इंद्रमोहन उतरेजा, महाप्रबंधक महेंद्र कुमार, मुख्य प्रबंधक कार्मिक रमेश कुमार, मुख्य प्रबंधक राजन कुमार गुप्ता, क्षेत्रीय प्रबंधक रियाजुद्दीन अहमद, अनूप कुमार झा, क्षेत्रीय अधिकारी रमेश कुमार मिश्रा, बीएम रोहित राज समेत आठ को नामजद आरोपी बनाया है. ऑडिटर नवनीत कुमार ने बताया था कि पिछले साल 17 जुलाई को सीजेएम कोर्ट में परिवाद दर्ज कराया था.
उन्होंने परिवाद पत्र में बताया कि वे बैंक के आंतरिक ऑडिटर के पद पर कार्यरत थे. ऑडिटर के रूप में बैंक की 124 शाखाओं का ऑडिट किया. इसमें प्रथम दृष्टया बैंकिंग फ्रॉड व भ्रष्टाचार कर करीब सौ करोड़ से अधिक की राशि के गबन का पता चला. बैंक की बैरिया चौक शाखा में करीब दस करोड़ रुपये से अधिक का लोन जानबूझकर फर्जी कागजात पर वितरित करने का मामला मई 2020 में सामने आया.
विभिन्न शाखाओं के ऑडिट में पता चला कि फर्जी दस्तावेज के आधार पर लोन वितरित किये गये. बैंकिंग नियमों की अनदेखी कर खातों से ब्याज अर्जित किये गये, एनपीए खातों को पीए दर्शाया गया, बैड लोन की बैलेंस शीट व केसीसी खाताओं का नवीनीकरण समेत कई कार्यों में नियमों को ताक रखकर व्यक्तिगत कमाई का मामला सामने आया.