Jharkhand News: सरायकेला-खरसावां जिला के कुचाई प्रखंड के मरांगहातु गांव से देश के पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन भारत रत्न डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की यादें जुड़ी हुई हैं. मिसाइल मैन के नाम से प्रसिद्ध देश के सबसे लोकप्रिय राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की आज जयंती है. देशभर में लोग उन्हें याद कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं. झारखंड से डॉ कलाम की विशेष यादें जुड़ी हुई हैं. बता दें कि डॉ. कलाम दो बार झारखंड आ चुके थे. साल 2004 में ख्ररसवां के मरांगहातु गांव पहुंचे थे. उनकी पुण्यतिथि पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने भी उन्हें नमन किया. डॉ कलाम पहले हेलीकॉप्टर से कुचाई के जोबजंजीर गांव पहुंचे थे. इसके बाद मरांगहातु गांव पहुंचे कर विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल हुए थे.
मरांगहातु गांव में बिताये थे 2.30 मिनट
झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री और स्थानीय विधायक अर्जुन मुंडा के आग्रह पर कुचाई आये तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ कलाम करीब यहां करीब ढाई घंटे गुजारे थे. डॉ कलाम के इस दौरे के बाद से भी कुचाई और यहां का प्रसिद्ध सिल्क कपड़े को अलग पहचान मिली. पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम वर्ष 2004 में सरायकेला-खरसावां जिला के कुचाई प्रखंड के मारंगहातु गांव में आये थे. डॉ कलाम पहले हेलीकॉप्टर से कुचाई के जोबजंजीर गांव पहुंचे थे. इसके बाद मरांगहातु गांव पहुंचे कर विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल हुए थे. झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री और स्थानीय विधायक अर्जुन मुंडा के आग्रह पर कुचाई आये तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ कलाम करीब यहां करीब ढाई घंटे गुजारे थे.
शिल्क से मिली पहचान
डॉ कलाम के इस दौरे के बाद से भी कुचाई और यहां का प्रसिद्ध सिल्क कपड़े को अलग पहचान मिली. डॉ कलाम यहां झारखंडी कला-संस्कृति के लेकर यहां के रहन-सहन व जीवन शैली से अवगत हुए थे. लोगों ने यहां आदिवासी परंपरा से पैर पखार कर उनका स्वागत किया था. कुचाई के बिरगमडीह में आदिम जनजाति बिरहोर समुदाय के लोगों ने डॉ कलाम को पत्ते से तैयार टोपी भेंट की. पत्ते की यह टोपी काफी दिनों तक राष्ट्रपति भवन में भी रखी हुई थी. छऊ व पाइका नृत्य से कलाकारों ने स्वागत किया था. स्थानीय लोगों द्वारा तैयार बाजा को कलाम ने बजाया था. डॉ कलाम कुचाई प्रखंड के मरांगहातु गांव के स्कूली बच्चों से सीधे मुखातिब होने के साथ-साथ उनके सवालों के जवाब भी दिये थे.
कुम्हारों को किया था प्रोत्साहित
डॉ कलाम ने तब बच्चों को राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्य का एहसास कराते हुए शपथ भी दिलायी थी. साथ ही कुचाई में उत्पादित सिल्क के कपड़े व तसर कोसा की गुणवत्ता की मुक्त कंठ से प्रशंसा की थी. इसके बाद से ही राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुचाई सिल्क को एक अलग पहचान मिली. डॉ कलाम ने मरांगहातु में कुम्हार समुदाय के लोगों द्वारा मिट्टी के बर्तन बनाने के कार्य को भी प्रोत्साहित किया था. मरांगहातु गांव के लुबुराम सोय बताते हैं कि उन्हें डॉ कलाम के साथ संवाद करने का मौका मिला था. उस पल को आज तक नहीं भूल पाये हैं. गांव में डॉ कलाम के दौरा के बाद मरांगहातु गांव को अलग पहचान मिली थी.
रिपोर्ट : शचिन्द्र कुमार दाश, सरायकेला