जांच में पाया गया कि निश्का के अंतर्गत काम करने वाले अधिकांश कर्मियों को बैंक के बदले हाथ पर ही महीने की पगार दी जा रही थी. वह पगार भी तय रेट से आधी या उससे भी कम थी. जबकि एग्रीमेंट में बैंक अकाउंट नंबर में कर्मियों को पगार देना था. इतना ही नहीं मामला पकड़ में नहीं आये इसलिए कुछ कर्मियों का अकाउंट नंबर खोला गया था, लेकिन उसके बदले दर्जनों व्यक्तियों का नाम शामिल कर दिया गया था. यानी एक अकाउंट नंबर पर दर्जनों कर्मियों का भुगतान कराया गया. बताया जा रहा है कि कई कर्मियों के बैंक अकाउंट भी गलत मिले हैं.
मामला पकड़ में आने के बाद अस्पताल के अधीक्षक डॉ आइएस ठाकुर ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को इसकी जानकारी दी. इसके बाद अधीक्षक द्वारा बीते 4 अप्रैल 2022 को ही निश्का कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया था. इतना ही नहीं अब स्वास्थ्य विभाग के निर्देश पर कंपनी की ओर से पेश किये गये बकाया बिल 63 लाख 46 हजार 720 रुपये को जुर्माने के तौर पर भुगतान के लिए रोक लगा दी गयी है. अस्पताल की ओर से स्पष्टीकरण के तौर पर कई सबूत मांगे गये, बावजूद कंपनी की ओर से सही सबूत प्रस्तुत नहीं किया जा सका. वहीं कंपनी के ब्लैक लिस्ट होने के बाद दूसरी कंपनी को सफाई व ट्रॉलीमैन की जिम्मेदारी दी गयी है.
पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ आइएस ठाकुर ने कहा कि डिस्ट्रिक्ट पब्लिक ग्रीवांस सेल में शिकायत के बाद अस्पताल प्रशासन की ओर से जांच कराया गया. जिसमें निश्का एजेंसी की ओर से कई गड़बड़ियां मिलीं. एग्रीमेंट कराते समय तय किया गया था कि सफाई कर्मी व ट्रॉली मैन अलग-अलग होंगे और उनका भुगतान बैंक में तय राशि के अनुसार करना होगा. लेकिन कंपनी की ओर से इस नियम की अवहेलना की गयी. सबूत के साथ मैंने पहले ही कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर दिया था. वहीं महालेखागार की ओर से भी जांच जारी है, जिसका जवाब लिखित रूप से दिया जा रहा है. उम्मीद है कि कंपनी की और गड़बड़ियां पकड़ी जायेंगी.
रिपोर्ट: आनंद तिवारी