दिवाली के दस्तक देते ही बिहार के विभिन्न जिलों में जुआ और सट्टा का बाजार गर्म हो गया है. बिहार क राजधानी पटना सहित राज्य के कई जिलों में लोग सुबह से तास के पत्ते लेकर लोग जमा हो जाते हैं. जुआ और सट्टा का बुरा असर राज्य के युवाओं पर भी पड़ रहा है. जुए की लत की वजह से कई लोग कंगाल हो रहे हैं तो वहीं ब्याज पर रुपया देने वाले लोग मालामाल हो रहे हैं. अब इस मामले में लोगों द्वारा प्रसाशन से गुहार लगाई जा रही है कि इसे रोकने के लिए कुछ किया जाये.
बीते दिनों पुलिस ने पटना और आरा से कुछ जुआरियों को गिरफ्तार भी किया था. आरा से गिरफ्तार किये गए युवकों के पास से पुलिस को लॉटरी के बंडल के साथ साथ 6 हजार रुपये कैश बरामद हुए थे. इसके साथ ही पटना के जक्कनपुर से भी पुलिस ने कुछ युवकों को जुआ खेलने के आरोप में गिरफ्तार किया था. पुलिस द्वारा जुआरियों पर की जा रही कार्रवाई का कुछ लोग विरोध करते हुए उन पर मनमानी करने का भी आरोप लगा रहे हैं.
बिहार में जुआ खेलने का कानून भारत के राष्ट्रीय जुआ कानून के समान हैं. इस कानून के अनुसार जुआ खेलने पर पाबंदी है पर कानून पुराना होने की वजह से इसमें कुछ खामियां भी हैं. बिहार जुआ कानून का ऑनलाइन जुआ साइटों पर कोई नियंत्रण नहीं है ना ही साइट पर इसका कोई अधिकार है. इसी कारण से लोगों द्वारा ऑनलाइन माध्यम से जुआ और सट्टा खेला जा रहा है.
बिहार में जुआ कानून 1867 के सार्वजनिक जुआ अधिनियम के तहत संचालित होता है, इसमें कहा गया है कि रम्मी और रेस बेटिंग को छोड़कर कौशल के कुछ खेल अवैध हैं. लेकिन राज्य में गेमिंग हाउस चलाना या किसी तरह का जुआ खेलना गैरकानूनी है. इसका मतलब बिहार में सभी तरह का जुआ गैर कानूनी है. बिहार जुआ कानून डिजिटल युग के पहले लागू हुआ था जिसका लाभ विदेशों के ऑनलाइन कसीनो उठा रहे हैं. क्योंकि भारत के बाहर भारत सरकार का अधिकार क्षेत्र नहीं है.
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भारत के 13 राज्य में राष्ट्रीय लॉटरी की अनुमति है लेकिन बिहार उन राज्यों की लिस्ट में शामिल नहीं है. बिहार में लॉटरी अधिनियम पर 1993 में एक कानून स्थापित किया गया है. इस कानून के तहत राज्य में लॉटरी पर प्रतिबंध है. लेकिन लॉटरी में हिस्सा लेने की इच्छा रखने वाले लोग ऑनलाइन माध्यम से इसमें हिस्सा लेते हैं.