बिहार की राजधानी पटना ने अपने यात्रा की शुरुआत प्राचीन मगध साम्राज्य से की. पटना उस वक्त पटलीपुत्र के नाम से जाना जाता था. गंगा नदी के तट पर बसे इस खूबसूरत शहर ने देश की आजादी में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. पटना में दुनिया के प्रमुख धर्म जैसे हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख कई तीर्थस्थल हैं. इसके अलावा भी पटना में घूमने के लिए कई बेहतरीन जगहें हैं. परंतु पटना अभी भी पर्यटकों के बीच एक आकर्षण का केंद्र नहीं बन पाया है. ऐतिहासिक शहर पटना में देखने के लिए बहुत कुछ है.
बिहार के गौरवशाली अतीत को जानने के लिए अपनी यात्रा की शुरुआत आप बिहार संग्रहालय से कर सकते हैं. यहां प्राचीन इतिहास से लेकर मॉडर्न इतिहास तक आपको सब कुछ मिलेगा. यहां मगध का उदय और उसके बाद के राजवंश, मौर्य साम्राज्य से मुगल शासन तक, संग्रहालय यह सब प्रदर्शनी के माध्यम से समझाता है. पटना के बेली रोड पर स्थित यह संग्रहालय सोमवार को छोड़कर सभी दिनों में सुबह 10.30 से शाम 5 बजे के बीच खुला रहता है
पटना का यह मील का पत्थर मूल रूप से 1786 के आसपास बना था. इसे वर्ष 1770 के अकाल में अनुभव की गई भोजन की कमी के बाद सेना के लिए अनाज रखने के लिए बनाया गया था. मजदूरों को इस पर चढ़ने में आसानी हो इस वजह से इस पर सीढ़ियां भी बनायी गई थी. आज जिसका इस्तेमाल पटना को ऊंचाई से देखने के लिए किया जाता है.
बड़ी पटन देवी एक लोकप्रिय तीर्थस्थल है. यह देवी सती (पार्वती का एक अवतार) से जुड़ा है. यह पटना के सबसे बड़े मंदिरों में से एक है. सहर में देवी को समर्पित अन्य मंदिर भी मौजूद हैं.
सिख समुदाय के लिए पटना एक बहुत ही सम्मानित शहर है. यहां सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह का जन्म हुआ था. गुरु नानक और गुरु तेग बहादुर ने भी यहां का दौरा किया है. यहां से लगभग तीन किमी दूर गुरु की बाग है, जो गुरु तेग बहादुर की स्मृति से जुड़ा गुरुद्वारा है. पटना आए पर्यटकों को एक बार इन दोनों गुरुद्वारे जरूर जाना चाहिए.
पटना रेलवे स्टेशन पर संकटमोचन हनुमान को समर्पित यह भव्य मंदिर तीर्थ यात्रियों के लिए एक लोकप्रिय आकर्षण है. महावीर मंदिर में आपको अन्य देवी-देवता भी मिलेंगे.
पटना के केंद्र में स्थित कुम्हरार पार्क उस समय की याद दिलाता है जब पटना को पाटलिपुत्र और मगध की राजधानी के रूप में जाना जाता था. पुरातत्वविदों को यहां पुरानी संरचनाएं (जैसे कि एक असेंबली हॉल) और मिट्टी के बर्तन मिले हैं.
पटना के फ्रेज़र रोड पर स्थित पार्क में 200 फीट ऊंचा करुणा स्तूप बनाया गया है, जिसे भगवान बुद्ध की 2554 वीं जयंती के अवसर पर बनाया गया था. यह एक प्राकृतिक उद्यान से घिरा हुआ है. इस परिसर में नालंदा महाविहार की शैली में निर्मित एक ध्यान केंद्र, एक पुस्तकालय और एक संग्रहालय भी शामिल है.
खुदा बख्श लाइब्रेरी की शुरुआत एक निजी संग्रह के रूप में हुई थी. लेकिन यह धीरे-धीरे विभिन्न भाषाओं की लगभग 250,000 पुस्तकों के साथ एक भव्य पुस्तकालय के रूप में विकसित हो गया. इसमें पुरानी पांडुलिपियों का भी एक बड़ा संग्रह भी है. इसके अलावा यहां कुछ दुर्लभ कलाकृतियां भी मौजूद हैं.
पटना का गांधी संग्रहालय बड़े पैमाने पर महात्मा गांधी की बिहार यात्राओं और राज्य के साथ उनके संबंधों से संबंधित है
पुराने सचिवालय भवन के सामने स्थित शहीद स्मारक उन सात युवाओं के सम्मान में बनाया गया था, जिन्होंने भारतीय तिरंगा फहराने की हिम्मत की थी और 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जिन्हें ब्रिटिश पुलिस द्वारा गोली मार दी गई थी.
18वीं सदी में गॉथिक शैली में बनाए गए इस पुराने सेंट मेरी चर्च में कुछ बदलाव हुए हैं, लेकिन फिर भी इसे पटना का सबसे पुराना चर्च कहा जाता है. स्थानीय लोग इसे ‘पादरी की हवेली’ भी कहते हैं.
ऐसा कहा जाता है कि सम्राट जहांगीर के बेटे परवेज शाह ने 17वीं शताब्दी में इस पत्थर की मस्जिद का निर्माण कराया था. गंगा नदी के तट पर स्थित इस मस्जिद का निर्माण उन्होंने उस वक्त करवाया था जब वह बिहार के राज्यपाल थे.
संजय गांधी जैविक उद्यान यानि की पटना चिड़ियाघर यहां का एक लोकप्रिय आकर्षण है. वनस्पति उद्यान के रूप में शुरू हुए इस पार्क को बाद में एक जैविक पार्क में बदल दिया गया. यहां जानवर, मछली और सांप देखा जा सकता है. इसके अलावा भी यहां मनोरंजन के कई साधन हैं.
पटना और इसके आस पास के इलाकों में इन जगहों के अलावा भी घूमने के लिए कई खूबसूरत जगह हैं. पटना में इन ऐतिहासिक जगहों के अलावा कई मॉडर्न मॉल, शॉपिंग सेंटर और अनोरंजन की जगहे है.