रांची: झारखंड हाइकोर्ट ने नक्शा स्वीकृति को लेकर दायर हस्तक्षेप याचिका पर सुनवाई करते हुए रांची नगर निगम व आरआरडीए की कार्यशैली पर फटकार लगायी. जस्टिस एस चंद्रशेखर व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दाैरान नगर विकास विभाग के टाउन प्लानर गजानंद राम से रांची नगर निगम व आरआरडीए में टाउन प्लानर के बारे में जानकारी मांगी.
इस पर श्री राम ने बताया कि आरआरडीए में स्वीकृत पद पर स्थायी नियुक्ति नहीं हो पायी है. संविदा के आधार पर टाउन प्लानर नियुक्त कर काम चलाया जा रहा है. इस पर खंडपीठ ने नाराजगी जताते हुए कहा कि रांची नगर निगम व आरआरडीए में टाउन प्लानर के स्वीकृत पदों पर 20 वर्षों से स्थायी नियुक्ति नहीं की गयी है. सरकार के दूसरे विभागों के सहायक अभियंता या कार्यपालक अभियंता को टाउन प्लानर के पदों का प्रभार दे दिया जाता है.
प्रतिनियुक्त अभियंताओं के पास टाउन प्लानर की अहर्ता भी नहीं रहती है. इसके बावजूद स्थायी नियुक्ति नहीं कर प्रतिनियुक्ति या संविदा पर काम चलाया जा रहा है. यह स्थिति उचित नहीं है. खंडपीठ ने हस्तक्षेप याचिका के व्यापक क्षेत्र को देखते हुए उसे स्वत: संज्ञान के रूप में रजिस्टर करने काे कहा. मामले को गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया.
खंडपीठ ने राज्य सरकार को रांची नगर निगम व आरआरडीए में टाउन प्लानर सहित अन्य सभी स्वीकृत रिक्त पदों पर तत्काल नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने तीन नवंबर की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व हस्तक्षेपकर्ता की ओर से अधिवक्ता लाल ज्ञानरंजन नाथ शाहदेव ने बहस की. वहीं राज्य सरकार की अोर से अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार व रांची नगर निगम की अोर से वरीय अधिवक्ता आरएस मजूमदार ने पक्ष रखा. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी डॉ राजेश कुमार ने अपील याचिका दायर की है.