दीपावली और छठ महापर्व को देखते हुए राज्य में मिलावटी खाद्य पदार्थों के खिलाफ बड़े पैमाने पर छापेमारी शुरू कर दी गयी है. खाद्य निरीक्षकों को टारगेट दिया गया है कि कहीं भी मिलावटी खाद्य पदार्थ नहीं बिकने चाहिए जिससे लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचे. खाद्य संरक्षा आयुक्त द्वारा राज्य के सभी बड़े जिलों को 100-100 नमूने लेने का निर्देश दिया गया है. इस दिशा में पटना के कच्ची दरगाह में ही दो हजार लीटर दूध को नष्ट कराया गया जबकि 50 किलोग्राम से अधिक मिठाइयों को नष्ट कराया गया.
खाद्य विशेषज्ञों का कहना है कि सामान्य रूप से त्योहारी मौसम आने पर दूध में वाशिंग पाउडर या यूरिया की मिलावट की जाती है. गुड़ और मसाला में बालू या बुरादा की मिलावट की जाती है. इससे पेट संबंधी बीमारियां होती है. इसी तरह से सरसो तेल में आर्जिमोन तेल के मिलावट से आंख की रोशनी जा सकती या अनियंत्रित बुखार हो सकता है. बेसन में खेसारी के दाल मिलाने से लकवा होने का खतरा रहता है.
बेसन व हल्दी में पीला लेग (मेटानिल) का मिलावट करने से लीवर व किडनी के साथ पाचन तंत्र की बीमारी होती है. लालमिर्च में रोडामाइन-बी की मिलावट की जाती है जिससे लीवर व किड़नी की बीमारी होती है. चायपत्ती में लौहचूर्ण की मिलावट की जाती है जिससे पाचनतंत्र की बीमारी होती है. मिठाइयों में वर्क के रूप में एल्युमिनियम का प्रयोग किया जाता है इससे भी पेट संबंधी बीमारी होती है. स्वास्थ्य विभाग ने इस प्रकार के मिलावटी खाद्य पदार्थों की रोकथाम के लिए हर दिन छापेमारी किया जाये.
खाद्य निरीक्षकों का कहना है कि बड़े शहरों में छापेमारी में पुलिस का सहयोग मिलता है. पर अनुमंडल से नीचे स्तर के छोटे हाट-बाजारों में मिलावटी खाद्य पदार्थों की जांच करने पर स्थानीय स्तर पर भारी विरोध किया जाता है. यहां पर पुलिस का भी सहयोग नहीं मिलता है.