गुमला जिले से 60 किमी दूर बिशुनपुर प्रखंड में गोर्राटोली गांव है. आज यह गांव किसी पहचान का मोहताज नहीं है. अंडर-17 भारतीय महिला फुटबॉल टीम की कप्तान अष्टम उरांव के कारण यह गांव सुर्खियों में है. कभी इस गांव में नक्सलियों की हुकूमत हुआ करती थी, लेकिन अष्टम उरांव के कारण अब इस गांव की पहचान बदल गयी. जैसा बताया गया कि पांच साल पहले तक गोर्राटोली गांव की रास्तों से होकर नक्सली गुजरते थे. इस गांव से सटे ऊंची पहाड़ और घने जंगल है, जो नक्सलियों के लिए सेफ जोन माना जाता रहा था. नक्सलियों की आवाजाही के कारण गोर्राटोली गांव पांच साल पहले तक नक्सल इलाका के नाम से जाना जाता था. लेकिन, अब गांव की पहचान बदल गयी है. गांव को अलग पहचान देने में गांव की बेटी अष्टम उरांव का योगदान है. जिसने फुटबॉल खेल की बदौलत गांव को आज एक अलग नाम और पहचान दी. हालांकि, बनारी में पुलिस पिकेट की स्थापना और पुलिस की लगातार दबिश के कारण अब नक्सलियों का इस क्षेत्र में आवागमन बंद हो गया. इसलिए गांव में बदलाव की कहानी लिखी जा रही है.
गोर्राटोली गांव बिशुनपुर व नेतरहाट मार्ग के ठीक किनारे है. अष्टम उरांव के कारण अब गांव का विकास हो रहा है. यहां बदलाव की कहानी लिखी जा रही है. खुद गुमला उपायुक्त सुशांत गौरव गांव के विकास के लिए लगे हुए हैं और लगातार बिशुनपुर प्रखंड के अधिकारी से संपर्क कर गांव की स्थिति की जानकारी ले रहे हैं. गोर्राटोली गांव में 109 घर है. महिला, पुरुष, युवक, युवती व बच्चों को मिलाकर करीब 700 आबादी है. गांव की फुलमनी उरांव, सविता देवी, रैनी देवी, शंकर बड़ाइक, जुलियस टोप्पो, बेचन उरांव, बुद्धराम चीक बड़ाइक, संजय कुजूर, भवन महतो ने कहा कि हमारे गांव की बेटी अष्टम उरांव आगे बढ़ रही है. अब सरकार व प्रशासन से मांग है. हमारे गांव का विकास भी तेजी से करे. गांव की जो भी समस्या है. उसे दूर करे गोर्राटोली को मॉडल विलेज के रूप में विकसित करते. ग्रामीणों ने कहा कि हमलोग गांव के विकास में प्रशासन का पूरा सहयोग करेंगे. ग्रामीणों ने यह भी कहा कि अभी कई विकास के काम तेजी से हुआ है. इसके लिए प्रशासन का हम आभारी हैं.
अष्टम के पिता गोरेलाल उरांव ने कहा बेटी अष्टम उरांव ने गांव को अलग पहचान दी है. हमारे गांव का भी अब विकास हो रहा है. गांव में सड़क बन रही है. पानी की सुविधा है. मॉडल आगनबाड़ी केंद्र है. गरीबों के उत्थान के लिए भी रोजगार का अवसर उपलब्ध कराया जाये. वहीं, मां तारा देवी ने कहा कि गांव में अधिकांश घर कच्ची मिट्टी की है. हर गांव पक्का बने. सभी घर में शौचालय हो. उज्ज्वला योजना के तहत रसोई गैस सिलिंडर नहीं मिला है. अभी लोग जंगल की लकड़ी से खाना बनाते हैं. सिलिंडर की व्यवस्था प्रशासन करा दें.
वहीं, सांसद प्रतिनिधि भोला चौधरी ने कहा कि गोर्राटोली गांव से सांसद वाकिफ हैं. गांव की जो भी समस्या है. मैं उन समस्याओं को सांसद के समक्ष रखकर प्रशासन के माध्यम से समस्याओं को दूर कराने का प्रयास किया जायेगा. गोर्राटोली में खेल को बढ़ावा देने की जरूरत है.
रिपोर्ट : दुर्जय पासवान, गुमला.