सुजनी बिहार की पारंपरिक कला है. खास कर मुजफ्फरपुर जिले में सुजनी कला को आगे बढ़ा कर ग्रामीण महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं. वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (एक जिला एक उत्पाद) में अब उद्योग विभाग की ओर से मुजफ्फरपुर की लहठी के साथ सुजनी कला को प्रमोट किया जा रहा है. खुद विभाग के प्रधान सचिव संदीप पौंड्रिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हथकरघा और हस्तशिल्प कला को प्रोत्साहित कर रहे हैं. उन्होंने अपने ट्विटर पेज पर सूबे के 23 जिलों में एक जिला एक उत्पाद में शामिल लघु उद्योग की सूची जारी की है. इसमें जिले में लहठी के साथ सुजनी कला की विशेषताओं के बारे में जानकारी दी है.
बताया है कि बिहार देश के कुछ बेहतरीन हथकरघा और हस्तशिल्प का घर है. इसमें सुजनी कला को लेकर सुई-धागा के रंगीन दुनिया के बारे में बताया गया है, ताकि राष्ट्रीय स्तर पर लहठी और लीची के साथ सुजनी कला के लिये भी जिले की पहचान बन सके. इस कला को जीआई टैग भी मिल चुका है. जिले में विशेष रूप से गायघाट के भूसरा गांव में दादी-नानी के हाथों की कला महिलाओं को रोजगार मुहैया करा रही है. वर्तमान में सुजनी कला की छाप रजाई, सूती, खादी, सिल्क साड़ी, कुर्ता, परदा, बेडशीट, झोला, लेडीज बैग, फाइल पर दिखाई देती है. उद्योग विभाग की ओर से बताया गया है कि सुजनी कला भारतीय संस्कृति की अमिट छाप है, जो कई पीढ़ियों से चली आ रही है.
सुजनी कला सुई-धागा की रंगीन दुनिया है. कभी फटी हुई चादर तो कभी किसी कपड़े की उघरी सिलाई छुपाने के लिए ये महिलाएं अपनी कला से छोटे-छोटे फूल बना देती हैं. इनकी यही सुजनी कला मुजफ्फरपुर को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिला रहा है. प्रसिद्ध लोककलाओं में सुजनी कपड़े की कई तहों पर रंगीन धागों से डिजाइन बना कर कलात्मक डिजाइन वाली उपयोगी वस्तुएं तैयार की जाती हैं.