Ranchi News: दो साल के कोरोना संकट के दौर में आम लोगों की जीवनशैली बुरी तरह प्रभावित हुई है. शारीरिक सक्रियता कम होने और घरों में ज्यादा रहने से तनाव बढ़ा है. लोग चिड़चिड़ापन, ब्लड प्रेशर और अनिद्रा की बीमारियों के शिकार हो रहे हैं. साथ ही कोरोना संक्रमण के दौरान चलायी गयी दवा का असर भी सेहत और दिल पर दिख रहा है. कम उम्र में ही युवा हार्ट अटैक के शिकार होने लगे हैं. स्थिति ऐसी है कि राज्य के सरकारी और निजी अस्पतालों में हार्ट अटैक के 20% मामले बढ़ गये हैं.
रिम्स के कार्डियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. प्रकाश कुमार कहते हैं कि वर्ष 2019 में रोज 150 मरीज परामर्श लेने आते थे, जिसमें छह से आठ भर्ती होते थे. वहीं वर्ष 2020 में ओपीडी में आये 150 मरीजों में से आठ से 10 को भर्ती करना पड़ता था. लेकिन वर्ष 2021-22 में ओपीडी में आनेवाले मरीजों की संख्या अचानक बढ़कर 200 हो गयी है, जिसमें 15 से 20 गंभीर मरीजों को भर्ती किया जा रहा है.
राज अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ राजेश कुमार झा ने बताया कि पहले अस्पताल में 20 से 25 मरीज ओपीडी में परामर्श लेने आते थे, जिसमें एक से दो मरीज को भर्ती करना पड़ता था. वर्ष 2021-22 में ओपीडी में 35 से 40 मरीज ओपीडी में आने लगे हैं, जिसमें से चार से पांच मरीज को भर्ती करना पड़ता है. वहीं पल्स अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ दीपक गुप्ता ने भी बताया कि कोरोना से पहले 100 मरीजों में दस से 15 गंभीर मरीज मिलते थे, जो अभी 150 में 20 से 25 हो गये हैं.
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सरकारी और निजी अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग में 30 से 35 साल के युवाओं में हार्ट अटैक ज्यादा देखा जा रहा है. कई युवा हार्ट फेल्योर की समस्या लेकर आ रहे हैं, जिन्हें बचाना डॉक्टरों के लिए चुनौती भरा होता है. ओपीडी में आ रहे 100 हार्ट के मरीजों में 40 से 45 मरीज कम उम्र के हैं, जिनकी उम्र 40 साल से नीचे की है.
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फास्ट फूड और सैचुरेटेड फूड के इस्तेमाल से बचना चाहिए.
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युवा धूम्रपान और अल्कोहल का भी कम उपयोग करें या न करें
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खानपान में पारंपरिक भोजन का इस्तेमाल करना चाहिए.
खराब जीवनशैली के कारण होनेवाली बीमारी से खुद को बचाने के लिए नियमित व्यायाम और योग को दिनचर्या में शामिल करना चाहिए. कार्डियोलॉजिस्ट डॉ प्रकाश कुमार ने बताया कि युवाओं को 30 मिनट पैदल चलना चाहिए. जिम में जाकर ज्यादा मेहनत वाला व्यायाम नहीं करें, बल्कि वहां हल्का व्यायाम करें.
हार्ट अटैक की बड़ी वजह कोरोना संक्रमण और उस दौरान चलायी गयी दवा को माना जा रहा है. दवाओं के कारण लोगों के शरीर में शुगर अनियंत्रित हुआ. दिल के धड़कन के अनियंत्रित होने की समस्या बढ़ी. ब्लड प्रेशर अनियंत्रित हुआ. विशेषज्ञ डॉक्टरों का मानना है कि कोरोना संक्रमण से शरीर के महत्वपूर्ण अंगों पर प्रभाव पड़ा, जिसका नतीजा अब देखने को मिल रहा है.