Jharkhand News: झारखंड हाईकोर्ट ने लातेहार सिविल कोर्ट में सोमवार को टाना भगतों द्वारा किये गये विरोध प्रदर्शन और लाठीचार्ज की घटना पर स्वतः संज्ञान लिया है. इस मामले को लेकर अदालत ने नाराजगी जाहिर की और मुख्य सचिव और डीजीपी को तलब किया. मुख्य सचिव और डीजीपी आज मंगलवार को हाईकोर्ट में हाजिर हुए. खंडपीठ ने राज्य के दोनों वरीय पदाधिकारियों को विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है. मौखिक टिप्पणी करते हुए खंडपीठ ने कहा कि अदालत परिसर में इतनी बड़ी घटना पुलिस इंटेलीजेंस की विफलता है.
उग्र हो गये थे टाना भगत
आपको बता दें कि सोमवार को लातेहार कोर्ट का घेराव करने के दौरान टाना भगतों की पुलिस से झड़प हो गयी थी. टाना भगत व्यवहार न्यायालय के मुख्य द्वार को जबरन खोल कर परिसर में प्रवेश कर गये थे और न्यायालय की छत पर चढ़कर प्रदर्शन करने लगे थे. उन्हें अधिकारियों ने जब समझाने की कोशिश की, तो वह और उग्र हो गये और पुलिस पर ही पत्थरबाजी करने लगे थे. इसमें थाना प्रभारी अमित कुमार गुप्ता के साथ आठ पुलिसकर्मी घायल हो गये थे. इसके बाद पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और पानी की बौछार की. इस क्रम में आंदोलनकारियों ने व्यवहार न्यायालय के बाहर खड़ी पीसीआर वैन के साथ-साथ कोर्ट परिसर में खड़े कोर्ट मैनेजर राजीव रंजन के आर्टिगा वाहन को भी क्षतिग्रस्त कर दिया. अंत में एसपी अंजनी अंजन ने स्वयं मोर्चा संभाला और आक्रोशित टाना भगतों को खदेड़ा. इसके बाद आंदोलनकारी शहर के विभिन्न गली-मोहल्लों से होते हुए भाग खड़े हुए.
पड़हा व्यवस्था लागू करने की मांग को लेकर थे आंदोलित
टाना भगत पांचवीं अनुसूची का हवाला देकर आंदोलित थे. वे पांचवीं अनुसूची के तहत कोर्ट चलाने को असंवैधानिक बता रहे थे. टाना भगत कोर्ट परिसर में न्यायाधीश को बुलाने की मांग पर अड़ गये थे. इस दौरान एसी व डीटीओ समेत कई अधिकारी आंदोलित टाना भगतों को समझाने की कोशिश करते दिखे. टाना भगतों की मांग थी कि यहां पड़हा व्यवस्था लागू होनी चाहिए. प्रदर्शन के दौरान टाना भगतों ने प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की थी.
रिपोर्ट : राणा प्रताप, रांची