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स्वच्छ ऊर्जा में प्रगति

यह सुखद है कि जैसे-जैसे स्वच्छ ऊर्जा के उत्पादन की क्षमता में वृद्धि हो रही है, वह सस्ती भी होती जा रही है.

गुजरात का एक गांव मोधेरा देश का पहला ऐसा गांव बन गया है, जहां की कुल विद्युत आवश्यकता सौर ऊर्जा से पूरी हो रही है. यह घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह स्थान अभी तक सूर्य मंदिर के लिए विख्यात था और अब यह सौर ऊर्जा चालित ग्राम के रूप में भी जाना जायेगा. इस गांव में एक सौर ऊर्जा संयंत्र के साथ 13 सौ अधिक सौर तंत्र छतों पर स्थापित किये गये हैं. यह स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में भारत के विकास क्रम में महत्वपूर्ण मोड़ है.

भारत में स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन की असीम संभावनाएं हैं तथा इसकी प्रगति सुनिश्चित करना भारत सरकार की प्राथमिकताओं में है. उल्लेखनीय है कि ग्लासगो जलवायु सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की प्रतिबद्धता को विश्व के समक्ष रखते हुए कहा था कि 2070 तक भारत कार्बन उत्सर्जन मुक्त राष्ट्र हो जायेगा. जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण के संकट से छुटकारा पाने के लिए स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन बढ़ाना अनिवार्य है.

जीवाश्म आधारित ईंधन के आयात पर होने वाले भारी व्यय को कम करने में भी इससे बड़ी मदद मिलेगी तथा घरेलू ऊर्जा अर्थव्यवस्था का विस्तार होगा. पिछले साल स्वच्छ ऊर्जा आकर्षण सूचकांक में भारत तीसरे स्थान पर रहा था. इस क्षेत्र में देश में वित्त वर्ष 2021-22 में लगभग 14.5 अरब डॉलर का निवेश हुआ था, जो 2020-21 की तुलना में 125 प्रतिशत अधिक था. यदि हम कोरोना महामारी से पहले के वित्त वर्ष 2019-20 से तुलना करें, तो पिछले साल का निवेश 72 प्रतिशत रहा था.

इस वर्ष के अंत तक देश में स्वच्छ ऊर्जा के उत्पादन को 175 गिगावाट तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है तथा 2030 तक इस उत्पादन के 450 गिगावाट तक होने की आशा है. यद्यपि इस राह में बाधाएं हैं, पर यदि तीव्र गति से छतों पर सौर प्रणाली स्थापित किया जाए, तो आसानी से लक्ष्य हासिल किया जा सकता है. हालिया आकलनों में बताया गया है कि वर्तमान वित्त वर्ष (2022-23) में रिहायशी मकानों की छतों पर लगे सोलर पैनलों की क्षमता में लगभग 60 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है.

तटीय क्षेत्रों में पवन ऊर्जा के विकास के लिए प्रयास हो रहा है. यह सुखद है कि जैसे जैसे स्वच्छ ऊर्जा के उत्पादन की क्षमता में वृद्धि हो रही है, वह सस्ती भी होती जा रही है. आज स्थिति यह है कि कोयला संयंत्रों से उत्पादित बिजली से इससे महंगी है. अंतरराष्ट्रीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल के कारण तेल और गैसों के दाम लगातार बढ़े हैं. कोयला भी महंगा हुआ है. ऐसे में व्यापक स्तर पर स्वच्छ ऊर्जा अभियान से सभी को जुड़ने की जरूरत है.

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