80saalbemisaalbachchan : बाॅलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन 11 अक्टूबर को अपना 80वां जन्मदिन मना रहे हैं. इस मौके पर अगर हम उनसे जुड़ी कुछ बातों को याद करना चाहें, तो हमारे जेहन में कुछ ऐसी बातें भी आती हैं जो उनके बचपन से जुड़ीं हैं. जब अमिताभ बच्चन कोई सेलिब्रिटी नहीं थे बल्कि एक आम परिवार के बच्चे थे.
अमिताभ बच्चन की मां तेजी बच्चन और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की दोस्ती जगजाहिर है. इंदिरा गांधी और तेजी बच्चन की दोस्ती को अमिताभ बच्चन और राजीव गांधी ने भी निभाया था. अमिताभ बच्चन के पिता हरिवंश राय बच्चन ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि जब वे अपने बच्चों को लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से मिलवाने जा रहे थे तो वे और तेजी बच्चन काफी नर्वस थे.
डाॅ हरिवंश राय बच्चन ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि अमिताभ, राजीव से कुछ माह बड़े थे और अजिताभ, संजय से कुछ माह छोटे थे. जिस वक्त हरिवंश राय बच्चन अपने दोनों बच्चों अमिताभ-अजिताभ और पत्नी तेजी को लेकर तीन मूर्ति भवन जाने वाले थे, उस वक्त बाल सप्ताह मनाया जा रहा था. राजीव और संजय अपने स्कूल देहरादून लौटने वाले थे.
हरिवंश राय बच्चन ने लिखा है कि समय सुबह के नाश्ते का था. चूंकि नेहरू जी से अमिताभ और अजिताभ की यह पहली मुलाकात थी, इसलिए वे उन आम माता-पिता की तरह नर्वस थे, जिन्हें अपने बेटे-बेटियों को किसी बड़े आदमी से मिलाना होता है. हरिवंश राय बच्चन ने लिखा है कि वैसे तो हमारे बच्चे शालीन और सुशील थे, थोड़ा बहुत टेबल मैनर्स भी जानते थे, बावजूद इसके हम उन्हें पूरी तरह सिखा-पढ़ाकर ले गये थे. हमने उन्हें सिखाया था कि पंडित जी और इंदु जी को हाथ जोड़कर नमस्ते करना है. टेबल पर तबतक बैठे रहना है जबतक पंडित जी का खाना खत्म ना हो जाये, चाहे तुम्हारा खाना खत्म हो गया हो तब भी.
हमने उन्हें तमाम तरह की हिदायतें दी थीं कि उन्हें क्या करना है और क्या नहीं करना है. आत्मकथा में डाॅ हरिवंश राय ने लिखा है कि नेहरू जी थोड़ा इंग्लिश स्टाइल का नाश्ता करते थे. जैसे पहले दूध के साथ थोड़ा काॅर्न फ्लैक्स या फिर अंडा टोस्ट. उसके बाद वे चाय या काॅफी पीते थे. चूंकि अमिताभ-अजिताभ के साथ राजीव और संजय भी नाश्ते के टेबल पर थे, इसलिए हलवा जलेबी और अन्य मिठाइयां भी टेबल पर थीं. पंडित को इलाहाबाद के लोकनाथ की मिठाई बहुत पसंद थी.
नेहरू जी ने राजीव और अमिताभ को बायीं ओर बैठाया था जबकि अजिताभ और संजय को दाहिनी ओर. मैं और तेजी इंदिरा जी के अगल-बगल बैठे थे. नेहरू जी चारों बच्चों के साथ ऐसे लग रहे थे जैसे कोई पांचवां बच्चा बैठा हो. यह उनके व्यक्तित्व की खूबी थी. वे बच्चों जैसे ही सरल, निश्चल और हंसमुख थे.
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