अनुज शर्मा/ पटना. डीआइजी रेल और एससीआरबी राजीव रंजन एक महिला के शोषण के आरोप में फंसते नजर आ रहे हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आदेश पर हुई सीआइडी जांच में उन पर लगे आरोप सही पाये गये है. राज्य की इस खुफिया जांच एजेंसी ने आइपीएस अधिकारी के आचरण को भी संदिग्ध माना है. सीआइडी ने जांच राजीव रंजन को पद के दुरुपयोग का भी दोषी माना है. एडीजीपी सीआइडी ने राजीव रंजन को दंडित करने के लिए डीजीपी के यहां फाइल भेज दी है. डीजीपी एसके सिंघल के मंतव्य (समीक्षा) के बाद अपर मुख्य सचिव गृह को कार्रवाई पर निर्णय लेना है. सूत्रों की मानें तो करीब 400 पेज की जांच रिपोर्ट में ऐसे कई साक्ष्य और तथ्य संलग्न हैं, जिनके आधार पर गृह विभाग दोषी आइपीएस अधिकारी पर एफआइआर दर्ज कराने के साथ ही विभागीय कार्यवाही का आदेश कभी भी दे सकता है.
पद और ताकत के दुरुपयोग कर किसी परिवार को तबाह कर देने वाले इस मामले का सच सामने लाने में फोरेंसिक एक्सपर्ट की भी मदद ली गयी. सीआइडी ने इस प्रकरण में एक डीएसपी, अगमकुंआ के थानेदार, अनुसंधान पदाधिकारी सहित कई पुलिस अफसरों, एक डॉक्टर और बेऊर जेल के अधिकारियों की भी संलिप्तता पायी है. जांच रिपोर्ट में इन सभी के खिलाफ कार्रवाई के लिए लिखा गया है. मामले की जांच में छह से अधिक आइपीएस अधिकारी शामिल थे. इनमें एक पदाधिकारी वर्तमान में डीजी के पद पर हैं. दो एडीजीपी और एक डीआइजी स्तर की अफसर हैं.
बात 2018 की है. उस समय आइपीएस राजीव रंजन की हैदराबाद में रह रही झारखंड की एक महिला से फेसबुक के जरिये दोस्ती हुई. यह दोस्ती धीरे-धीरे गहरी हो गयी. पीड़िता के अनुसार राष्ट्रीय पुलिस अकादमी की ट्रेनिंग पर गये राजीव रंजन चार अप्रैल 2018 की शाम एनपीए (नेशनल पुलिस एकेडमी) की कार से वनस्थलीपुरम थाना क्षेत्र स्थित उसके घर पहुंच गये. महिला का आरोप है कि अकेला पाकर उन्होंने उसका यौन उत्पीड़न किया. इसके बाद भी यह सिलसिला जारी रहा. जब महिला ने राजीव रंजन से दूरी बनानी चाही तो उसे उन्होंने अपने पद का धौंस दिखाना शुरू किया और धमकाने लगे.
तंग आकर पीड़िता ने वनस्थलीपुरम थाने में शिकायत पत्र दे दिया़ शिकायत वापस लेने के लिये महिला को पहले धमकाया. फिर छोटे भाई के ससुर के जरिये अगमकुआं थाना में 19 जुलाई 2018 को महिला और उसके पति के खिलाफ आइटी एक्ट और रंगदारी (503/2018) का मामला दर्ज करा दिया. इस मामले में महिला और उसके पति को गिरफ्तार कर बेऊर जेल भेज दिया गया. महिला का आरोप है कि इस दौरान थाना और अनुमंडल के पुलिस अफसर, जेल अधिकारी और अन्य लोग कानून के हर नियम का उल्लंघन करते रहे. इस मामले में डीआइजी रेल से उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया, मगर उनसे संपर्क नहीं हो पाया.
पीड़िता ने राजीव रंजन और उसके मददगारों के खिलाफ दुराचार के बाद मामले को दबाने के लिए बेटे को अगवा करने, पति सहित उसे झूठे केस में फंसाकर जेल भेजने और वहां टार्चर कराने की शिकायत थाना से लेकर डीजीपी कार्यालय तक की. इसके पीड़िता के भाई ने 11 अक्टूबर 2018 को मुख्यमंत्री के यहां शिकायत दर्ज करायी. मुख्यमंत्री सचिवालय ने इस पर तत्काल एक्शन लेते हुए अगले ही दिन (12 अक्टूबर) डीजीपी को जांच कर कार्रवाई करने के आदेश दिये. आरोपो की गंभीरता और आइपीएस से जुड़ा मामला होने के कारण इसकी जांच की जिम्मेवारी सीआइडी को दे दी गयी. हालांकि, न्याय की लड़ाई लड़ने वाले पीड़िता के भाई की एक हादसे में मौत हो चुकी है.
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जांच रिपोर्ट की समीक्षा के बाद आगे की प्रक्रिया की जाती है. इसमें कुछ समय लगता है. जांच रिपोर्ट के आधार पर दंड निर्धारित किया जायेगा. जितेंद्र सिंह गंगवार, एडीजीपी (मुख्यालय)
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राजीव रंजन मामले की फाइल अभी मेरे पास नहीं आयी है. डीजीपी कार्यालय से फाइल आते ही नियमानुसार दोषी पर कार्रवाई की जायेगी. – चैतन्य प्रसाद, अपर मुख्य सचिव गृह