भागलपुर के पीरपैंती थाना क्षेत्र के ओलापुर पंचायत स्थित मधुबन टोला के किसान बिंदेश्वरी यादव और उनका परिवार अपने मृत बेटे अभय कुमार (32) का शव भारत लाने की गुहार लेकर दर-दर भटक रहे हैं. शुक्रवार को दुबई में हुई उनकी बेटे की मौत के बाद परिजनों ने जिले में मौजूद अधिकारियों के दफ्तरों का चक्कर लगाया. उन्होंने प्रधानमंत्री से लेकर विदेश मंत्रालय तक को ईमेल से पत्र भेज अपने बेटे को आखिरी बार देखने की चाहत और शव को भारत लाने की गुहार लगायी. शनिवार रात तक उनकी सुनवाई कहीं नहीं हुई. परिजनों का कहना है कि जिस तरह से भारत सरकार परदेश में रहने वाले अपने लोगों को सुरक्षित वापस ले आती है, उसी तरह एक मां-पिता, पत्नी और बच्चों को उनके पिता के अंतिम दर्शन कराने के लिए शव भारत लेकर आये.
बिंदेश्वरी यादव के भतीजे ने बताया कि उनके चचेरे भाई अभय पिछले 10 साल से दुबई कई बार जा चुके हैं. जहां वह कमाते थे और हर छह माह या एक साल में घर आ जाते थे. एक साल पूर्व उन्होंने किसी तरह से बचाये हुए पैसे और जमीन से मिले पैसों को लेकर करीब तीन लाख रुपये खर्च कर दुबई में अपना ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया और वहीं के एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में बतौर ड्राइवर स्थायी तौर पर प्रतिनियुक्त हो गये. उन्होंने बताया कि अभय कुमार की बात गुरुवार शाम उनके माता-पिता, पत्नी और बच्चों से हुई थी. जिसके बाद वह कुछ काम होने और बाद में बात करने की बात कह चला गया.
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रात तक परिजनों ने उसके मोबाइल पर फोन लगाया, कोई रिस्पांस नहीं मिला. शुक्रवार सुबह भी कई बार उन्होंने बेटे को फोन लगाया, लेकिन किसी ने रिसीव नहीं किया. उन्होंने बेटे के साथ रह रहे तीन-चार साथियों को फोन लगाया, जिन्होंने बताया कि अभय की मौत शुक्रवार सुबह हर्ट अटैक से हो गयी थी. कंपनी के लोग अब परिजनों को बिना बताये ही शव को दफनाने की तैयारी कर रहे हैं.
परिजनों का आरोप है कि उन्हें कंपनी के इस रवैये पर शक है. उन्हें यह भी शक है कि उनके बेटे की मौत की सच्चाई आखिर क्या है. परिजनों ने बताया कि अभय के जिन दोस्तों ने परिजनों को उसकी मौत की जानकारी दी है अब उन्हें कंपनी के अधिकारी प्रताड़ित कर रहे हैं. उन सभी का मोबाइल बंद है.