सारण. नेपाल में भारी के बाद बाल्मीकिनगर बराज से अधिक मात्रा में पानी छोड़े जाने से सारण तटबंध के निचले इलाके में बसे लोगों पर खतरा मंडराने लगा है. सारण तटबंध के तटीय इलाकों में तरैया प्रखंड के पांच पंचायतों के लगभग दर्जनों गांव बसे हुए है.
माधोपुर पंचायत के सगुनी, राजवारा, शामपुर, अरदेवा, डुमरी पंचायत के हरपुर फरीदन,शीतलपुर,चंचलिया पंचायत के चंचलिया दियारे,बिंदटोली,पचौड़र व भटगाई पंचायत के मोलनापुर समेत अन्य गांवों लोग गंडक के बढ़ते जलस्तर देखकर कर काफी सहमे हुए है. गंडक के तटीय इलाकों में लगाये गये धान, मक्के, मसूरिया, अरहर के फसल को गंडक के बढ़ते जलस्तर ने अपने चपेट में ले लिया है.
वहीं, गंडक के बढ़ते जलस्तर देखकर स्थानीय पदाधिकारी भी अलर्ट मोड में है. सारण तटबंध पर बाढ़ नियंत्रण विभाग के पदाधिकारी व कर्मी बांध के निरीक्षण में लगे हुए है. बाढ़ की नाम सुनते ही क्षेत्र के लोग सहम जाते है. वर्ष 2001,2017,2019 व 2020 की भयंकर बाढ़ के दौरान लोगों की जो दुर्दशा हुई थी. वह सोचते ही कांप जा रहे है.
जिले के पानापुर क्षेत्र में गंडक नदी के दियारा क्षेत्र में शुक्रवार को पूजा करने पहुंचे सैकड़ों श्रद्धालु गंडक नदी के बढ़ते जलस्तर, शाम में हुई तेज बारिश एवं पूजा समिति के गैरजिम्मेदाराना रवैये के कारण दियारा क्षेत्र में ही फंस गये थे. हालांकि प्रशासन ने इस मामले में सक्रियता दिखाई जिस कारण शुक्रवार की देर रात तक श्रद्धालुओं की घर वापसी हो सकी.
बताया जाता है कि हर वर्ष की भांति दियारा क्षेत्र में स्थित लुकही माई की पूजा के लिए शुक्रवार को कोंध, रामपुररुद्र, भोरहा, सारंगपुर, जीपुरा आदि गांवों के सैकड़ो श्रद्धालु नाव के द्वारा दियारा गये थे. बताया जाता है कि पूजा समिति द्वारा नाव की व्यवस्था की गयी थी जिसने आठ नौ चक्कर में श्रद्धालुओं को दियारा पहुंचाया था. वापसी के समय गंडक नदी के बढ़े जलस्तर, बारिश एवं अंधेरा होने के नाविक ने तीन चार चक्कर लगाने के बाद इनकार कर दिया. जिस कारण सैकड़ों श्रद्धालु दियारा क्षेत्र में ही फंस गये.
इस बाद की जानकारी होते ही प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मच गया. सूचना मिलते ही बीडीओ राकेश रौशन एवं स्थानीय थाने की पुलिस रामपुररुद्र घाट पहुंची एवं दियारा में फंसे श्रद्धालुओं को रात करीब दो बजे तक उनकी घरवापसी करायी.