राम-जानकी मार्ग के पहले चरण में बिहार के सीवान से मशरख तक कुल 50 किमी लंबाई में फोरलेन सड़क बनेगी. इसके लिए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने 1431.36 करोड़ रुपये की लागत के साथ स्वीकृति दी है. यह जानकारी केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने ट्वीट कर दी है.
नितिन गडकरी ने ट्वीट में लिखा है कि बिहार के सारण जिले में पिछड़े क्षेत्र, धार्मिक, पर्यटन स्थल (बीआरटी) योजना के अंतर्गत एनएच-531 के फोरलेन तनरवा और सीवान बाइपास के निर्माण सहित एनएच-227ए के सीवान से मशरख तक फोरलेन के निर्माण और उन्नयन को 1431.36 करोड़ रुपये की लागत के साथ स्वीकृति दी गयी है.
बिहार के सारण जिले में पिछड़े क्षेत्र/धार्मिक/पर्यटन स्थल (बीआरटी) योजना के अंतर्गत NH-531 के फोर लेन तनरवा/सीवान बाईपास के निर्माण सहित NH-227A के सीवान से मशरख तक 4-लेन…
— Nitin Gadkari (@nitin_gadkari) October 7, 2022
राम-जानकी मार्ग उत्तर प्रदेश, बिहार और नेपाल को जोड़ने वाली सड़क है. हालांकि, इसके पहले चरण के लिए सीवान से मशरख तक कुल 50 किमी लंबाई में फोरलेन सड़क बनाने के लिए एनएचएआइ ने पहले ही निर्माण एजेंसी के चयन के लिए टेंडर जारी कर दिया था.
राम-जानकी मार्ग के पहले चरण में कुल चार बाइपास का निर्माण होगा. इसमें करीब 4.63 किमी लंबाई में सीवान बाइपास, करीब 7.38 किमी लंबाई में तनरवा बाइपास, करीब 14.66 किमी लंबाई में बसंतपुर बाइपास और करीब 2.29 किमी लंबाई में मशरख बाइपास शामिल हैं. इसके अलावा एक बड़ा पुल, 14 छोटे पुल, 15 अंडरपास, एक आरओबी और दो ग्रेड सेपरेटर का भी निर्माण होगा.
राम-जानकी मार्ग की कुल लंबाई करीब 240 किमी है. इसमें बिहार से गुजरने वाले राम-जानकी मार्ग की लंबाई करीब 200 किमी होगी. वहीं ,करीब 40 किमी लंबाई की सड़क उत्तर प्रदेश के मेहरौना घाट से सीवान तक बनेगी. इस सड़क को पहले केवल दो लेन बनाया जाना था, लेकिन बाद में बिहार सरकार के प्रयासों से इसे फोरलेन में बनाने की मंजूरी केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने दी. बिहार में इस सड़क के पहले चरण में सीवान से मशरख तक करीब 50 किमी लंबाई में सड़क बनेगी. वहीं, दूसरे चरण में मशरख से चकिया तक करीब 48 किमी, तीसरे चरण में चकिया से भिट्ठामोड़ तक करीब 103 किमी लंबाई में फोरलेन सड़क बनेगी.
राम-जानकी मार्ग का निर्माण फोरलेन में हो जाने से श्रद्धालुओं को भगवान राम की जन्म स्थली अयोध्या से सीता माता की जन्म स्थली तक जाने के लिए एक अलग मार्ग उपलब्ध हो जायेगा. इसके साथ ही आम नागरिकों को भी आवागमन में सहूलियत होगी.