Bihar: राजनीति में अपनी भागीदारी के लिए शाह-साईं समाज के लोग 11 अक्तूबर को राजधानी पटना में अपनी हुंकार भरेंगे. पत्रकारों से बात करते हुए ऑल इंडिया शाह साईं कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष असीरुद्दीन साहिब ने ये बातें कही. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से हमारे समाज के लोगों को आज तक राजनीतिक भागीदारी नहीं मिली. सामाजिक राजनीतिक भागीदारी के लिए हम 11 अक्तूबर को पटना के रविंद्र भवन में समाज का सम्मेलन आयोजित किया गया है. इस सम्मेलन में समाज के लिए बेहतर कार्य करने वाले लोगों को गुलहाय अकीदत मजनू शाह अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा.
शाह साईं समिति संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष असीरुद्दीन ने कहा कि भारत के कोने-कोने में फैले हुए, बिखरे हुए शाह बिरादरी से संबंधित सभी प्रबुद्ध नागरिकों को जानकर यह बेहद खुशी होगी कि संगठन को अखिल भारतीय स्तर पर अस्तित्व में लाया गया है. उन्होंने कहा कि यह संगठन शाह बंधुओं के लिए बीते 25 सालों से संघर्षरत है. राष्ट्रीय स्तर पर संगठन निर्माण को लेकर असीरुद्दीन साहिब ने कहा कि जो कौम अपने पूर्वजों को भूल जाती है, अपने पूर्वजों के इतिहास को याद नहीं रखती है, अल्लाह ताला उस कौम के अस्तित्व को मिटा देता है. आज हम खुद अपने अपमान का कारण हैं क्योंकि हम अपने पूर्वजों के हालात को भूल गए हैं. उन्होंने कहा कि उस तारीख को याद कीजिए जब अंग्रेजों ने इस देश के लोगों पर अत्याचार और हिंसा का पहाड़ तोड़ा था, हमारी इज्जत को रौंद दिया था.
असीरुद्दीन ने आगे कहा कि देश को विकास के पथ पर अग्रसर और सम्मानजनक नागरिकों की श्रेणी में खड़े होने के लिए शाह साईं समिति कड़ी मेहनत कर रहा है. जिसका नतीजा है कि आज देश में शाह समुदाय के लोग राजनीति, संस्कृति, शिक्षा और रोजगार समेत हर क्षेत्र में आगे बढ़े हैं.
उन्होंने कहा कि वे अल्लाह से दुआ करते हैं कि आने वाले समय में इस समुदाय के लोग अपनी खोई हुई गरिमा और सम्मान फिर से प्राप्त करे, जो उनके पूर्वजों को हासिल थ. लेकिन यह तभी संभव है जब हम आपसी एकता स्थापित करेंगे. अपनों जैसा प्यार, अपनी कौम से करेंगे और अपने बच्चों को व्यावहारिकता के साथ-साथ सभ्यता, शिक्षा का ज्ञान देंगे.
देश के राजाओं और नवाबों ने अपनी तथाकथित संपत्तियों को बचाने के लिए अंग्रेजों के सामने घुटने टेक दिए थे और आम लोगों को अंग्रेजों के ज़ुल्म सहने के लिए छोड़ दिया था. जब हमारे देश के लोग बेबस हो गए, तब हमारे बुजुर्गों ने कमान संभाली, जिनका नाम नामी इस्म-ए-ग्रामी मजनू शाह गद्दी निशिन खानकाह बंगाल है, उन्होंने अपनी नेतृत्व क्षमता से भारतीय लोगों और इस देश की गरिमा बुलंद किया और अंग्रेजों की गुलामी से निकलने का लोगों के अंदर उत्साह पैदा किया. उन्होंने कहा कि वक्त की अहम जरूरत है कि बिरादरी को तालीम के मैदान में रोजगार के मैदान में रहनुमाई करने की ताकि इनकी ज़हनी पस्ती को दूर किया जा सके.