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दिव्यांग शिक्षक का दर्द कोई नहीं समझ रहा, तीन वर्षो से स्थानांतरण को लेकर कार्यालयों का लगा रहा है चक्कर

एक क दिव्यांग शिक्षक का दर्द है. इस दर्द को गुमला के सरकारी मुलाजिम नहीं समझ रहे हैं. एक ही विद्यालय में लगातार 28 वर्षों से कार्यरत एक दिव्यांग शिक्षक अपने स्थानांतरण को लेकर पिछले तीन वर्षों से सरकारी बाबुओं के कार्यालयों का चक्कर लगा रहे हैं.

यह एक दिव्यांग शिक्षक का दर्द है. इस दर्द को गुमला के सरकारी मुलाजिम नहीं समझ रहे हैं. एक ही विद्यालय में लगातार 28 वर्षों से कार्यरत एक दिव्यांग शिक्षक अपने स्थानांतरण को लेकर पिछले तीन वर्षों से सरकारी बाबुओं के कार्यालयों का चक्कर लगा रहे हैं. किंतु अब तक इनका स्थानांतरण नहीं हो पाया. जिसको लेकर ये काफी परेशान हैं. जबकि सरकारी बाबू हर समय आश्वासन दें शिक्षकों को मानसिक रूप से परेशान भी कर रहे हैं.

जानकारी के अनुसार सिसई प्रखंड अंतर्गत रामवि बरगांव में पदस्थापित शिक्षक माड़वारी साहू शारीरिक रूप से नि:शक्त हैं. इनका एक पैर बचपन से ही पोलियोग्रस्त है जो अब धीरे धीरे और कमजोर हो गया है. जिस कारण इन्हें अधिक दूरी तक चलने फिरने में काफी परेशानी हो रही है. फलस्वरूप ये स्थानांतरण चाहते हैं. जिसके लिए उन्होंने दो बार उपायुक्त गुमला को आवेदन देकर स्थानांतरण की गुहार लगा चुके हैं.

दो वर्ष बीत जाने के बाद भी उक्त आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं होने पर शिक्षक माड़वारी साहू ने राज्य नि:शक्तता आयुक्त रांची को आवेदन देकर अपने स्थानांतरण की गुहार लगायी. जिस पर नि:शक्तता आयुक्त ने विकलांगता अधिनियम का हवाला देकर उपायुक्त गुमला तथा जिला शिक्षा अधीक्षक गुमला को पत्र प्रेषित कर यथाशीघ्र सुविधाजनक स्थान पर स्थानांतरित करने के निर्देश दिये. किंतु उक्त निर्देश के भी अब छह माह बीत गये.

अबतक दिव्यांग शिक्षक का स्थानांतरण नहीं हुआ. इस संबंध में दिव्यांग शिक्षक ने बताया कि पिछले 28 वर्षों से इस विद्यालय में कार्यरत हैं. यह विद्यालय प्रखंड मुख्यालय से 10 किमी दूर है. पोलियो ग्रस्त पैर अब धीरे धीरे काफी कमजोर हो गया है. जिस कारण अब यहां तक आने जाने में काफी कठिनाई हो रही है. अतः मेरा स्थानांतरण मुख्यालय स्थित किसी सुविधाजनक विद्यालय में कर दी जाये.

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