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रांची में नवरात्रि: केरल की महिलाओं ने मनाया ‘पोंगाला’, अयप्पा मंदिर में की अतुकाल देवी की पूजा

Navratri in Ranchi: पोंगाला से पहले उन्होंने उपवास रखा और अयप्पा मंदिर में आकर ईंट से चूल्हा बनाया. उसे सजाया-संवारा और उसकी पूजा-अर्चना कर उस पर मिट्टी के बर्तन में लकड़ी से गुड़, चावल से पोंगाला तैयार किया और उसे सूर्य भगवान को अर्पित किया.

Navratri in Ranchi: राजधानी रांची समेत पूरे झारखंड में दुर्गा पूजा (Durga Puja) की धूम है. हर समाज के लोग अपनी-अपनी परंपरा के अनुसार नवरात्रि मनाते हैं. केरल के मलयाली समाज ने भी अपने अंदाज में नवरात्रि का त्योहार मनाया. अयप्पा सेवा समिति की ओर से सेक्टर तीन स्थित अयप्पा मंदिर परिसर में अतुकाल देवी (महिलाओं का सबरीमल्ला) का पूजन किया. इसे पोंगाला के नाम से जाना जाता है.

ईंट के चूल्हे पर बनाया पोंगाला

सात दिनों तक घर में पूजा-अर्चना करने के बाद मलयाली महिलाओं ने परंपरागत पोशाक में पोंगाला बनाया. पोंगाला से पहले उन्होंने उपवास रखा और अयप्पा मंदिर में आकर ईंट से चूल्हा बनाया. उसे सजाया-संवारा और उसकी पूजा-अर्चना कर उस पर मिट्टी के बर्तन में लकड़ी से गुड़, चावल से पोंगाला तैयार किया और उसे सूर्य भगवान को अर्पित किया. इसके बाद महिलाओं ने अपने पूरे परिवार के साथ-साथ विश्व कल्याण की मंगलकामना के लिए प्रार्थना की.

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भगवान को लगाया भोग

मंदिर में भी भगवान के सामने शीश झुकाकर प्रार्थना की. भगवान की आरती कर उन्हें अन्नदानम के लिए तैयार किये गये व्यंजन का भोग लगाया. उसके बाद सभी भक्तों ने एक साथ मिलकर प्रसाद ग्रहण किया. वीणा, विद्या, सिनी, प्रतिज्ञा, प्रतीक्षा, मेरी कुटी सहित अन्य महिलाओं ने पूजा-अर्चना की.

पोंगाला तैयार होने के बाद जोरदार बारिश

महिलाओं ने पोंगाला तैयार कर उसे भगवान को अर्पित किया. इसके बाद जोरदार बारिश शुरू हो गयी. बारिश करीब एक घंटे तक होती रही. महिलाओं ने कहा कि भगवान का अच्छा संयोग था कि पूजा समाप्त होने के बाद बारिश हुई. अगर पहले बारिश हो जाती, तो पोंगाला तैयार करना मुश्किल था.

माता सरस्वती के सामने पुस्तक रखकर पूजा-अर्चना

समाज की ओर से रविवार की शाम को देवी की पूजा-अर्चना कर पुस्तक, कलम सहित अन्य सामाग्री उन्हें समर्पित कर दिया. विजया दशमी के दिन इस पुस्तक को मंदिर से अपने-अपने घर लेकर जायेंगे और उसके बाद से पढ़ाई शुरू करेंगे.

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