Money Laundering Case Jharkhand रांची: इडी ने पूजा सिंघल मामले की जांच में पाया कि पल्स संजीवनी हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड के बैंक खातों में टर्नओवर से कई गुना ज्यादा पैसा है. यह स्थिति कंपनी स्थापित होने के वर्ष 2012-13 से लेकर वित्तीय वर्ष 2019-20 तक लगातार रही है. शुरुआत में ही जहां कंपनी का टर्न ओवर 1.35 करोड़ था, तो खाते में जमा राशि 2.06 करोड़ थी, मतलब लगभग दोगुना. वित्तीय वर्ष 2019-20 में कंपनी का टर्न ओवर जहां 15.13 करोड़ रुपये था, वहीं खाते में जमा राशि 40.63 करोड़ थी. यह टर्न ओवर से दोगुनी से भी ज्यादा राशि है. किसी कंपनी के खाते में लगातार उसके टर्नओवर से ज्याद पैसा जमा होना अस्वाभाविक घटना है.
वित्तीय वर्ष 2012-13 से 2019-20 तक आठ वित्तीय वर्ष की अवधि में लगातार टर्नओवर से ज्यादा पैसा जमा पाया गया. पूछताछ में कंपनी के एमडी (अभिषेक झा) इस मामले में कोई संतोषप्रद कारण नहीं बता सके. उन्होंने अपनी मां (अमिता झा) द्वारा कंपनी में किये गये 20.60 लाख रुपये के निवेश को कंपनी से मिली वेतन की राशि होने का दावा किया. हालांकि उस वक्त तक कंपनी शुरू ही नहीं हुई थी.
इडी ने अमिता झा द्वारा किये गये निवेश की भी जांच की. पाया गया कि अभिषेक के दादा जटाशंकर झा, बहन पूजा झा और रिश्तेदार गना नाथ कुमार ने अमिता झा के खाते में पैसे ट्रांसफर किये थे. इसे अमिता झा ने कंपनी के शेयरों के लिए निवेश किया था. इडी ने इसे मनी लाउंड्रिंग माना है.
पहले बैंक में नकद जमा किया, फिर कंपनी के खाते में लाया पैसा : इडी ने जांच में पाया कि पल्स डायग्नोस्टिक और पल्स अस्पताल, दोनों ही संजीवनी हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड के अधीन चलते हैं. वित्तीय वर्ष 2019-20 में कंपनी के शेयरों का नये सिरे से बंटवारा किया गया. कंपनी के एमडी अभिषेक झा के पास कंपनी के 32% (2.19 लाख शेयर), अभिषेक झा की मां अमिता झा के पास 10 % (68 हजार 500) और सिद्धार्थ सिंघल के पास 10% (68 हजार, 500) के अलावा आयुषी पूर्वार और इशिता पूर्वार के पास कंपनी के 24-24 % शेयर(1.64 लाख-1.64 लाख) हैं.
इडी ने जांच में पाया कि कंपनी में अभिषेक ने 41.90 लाख, अमिता झा ने 20.60 लाख और सिद्धार्थ सिंघल ने छह लाख रुपये निवेश किया था. वहीं अभिषेक झा ने अपने कुल निवेश में से 22.25 लाख रुपये का निवेश विभिन्न बैंकों में जमा नकद राशि से किया है. पहले टुकड़ों-टुकड़ों में विभिन्न बैंकों में नकद रुपये जमा किये गये. इसके बाद इसे चेक के माध्यम से संजीवनी के खाते में लाया गया.
सिद्धार्थ सिंघल ने छह लाख रुपये नकद निवेश किया था. हालांकि पूछताछ में सिद्धार्थ ने स्वीकारा कि कंपनी के शेयर में उसके नाम पर अभिषेक ने ही पैसा दिया था.सीए सुमन कुमार ने अस्पताल में कई बार 10-10 लाख रुपये नकद जमा करने की बात स्वीकारी. इन तथ्यों के मद्देनजर इडी ने खाते में टर्नओवर से ज्यादा पैसा जमा होने को पूजा सिंघल द्वारा की गयी लाउंड्रिंग का हिस्सा माना है.
वित्तीय टर्न जमा
वर्ष ओवर राशि
2012-13 1.35 2.06
2013-14 3.38 8.50
2014-15 5.65 9.84
2015-16 8.28 17.94
2016-17 11.04 26.94
2017-18 12.20 31.72
2018-19 12.14 25.96
2019-20 15.13 40.63