भागलपुर: बंगाली समुदाय के लोग 450 साल से एक ही गंगा घाट से मां दुर्गा का कलश भरते थे. इसी से इस घाट का नाम बंगाली घाट चंपानगर रख दिया गया. रविवार को इस परंपरा पर नगर निगम की लापरवाही ने ब्रेक लगा दिया. घाट व गंगा में पसरी गंदगी को देख पुजारी ने यहां से जल भरने से इंकार कर दिया. भक्त मां दुर्गा का कलश लेकर दूसरी घाट पर जल लेने को विवश हो गये. इस लापरवाही से स्थानीय लोगों में आक्रोश है.
दुर्गा पूजा आरंभ होने से पहले नगर निगम के अधिकारियों से गंगा किनारे सफार्इ कराने का लगातार आग्रह किया गया. निगम के अधिकारियों ने इसे अनसुना कर दिया. महाशय परिवार ने अपने खर्च पर पानी से जलकुंभी को हटावाया. दो दिन की मेहनत से गंगा का जल तो दिखने लगा, लेकिन घाट किनारे इतनी गंदगी थी उसे सामान्य मजदूर कम समय में नहीं हटा पाते. इससे एक बार फिर नगर निगम से बुलडोजर की मांग करने लोग पहुंचे.
बंगाली घाट किनारे नाले का कचरा फेंक दिया गया है, जिससे घाट किनारे दुर्गंध व कचरा पसरा है. लोग यहां शौच कर चले जाते हैं. सामाजिक कार्यकर्ता देवाशीष बनर्जी कहते हैं कर्इ बार निगम के अधिकारियों से आग्रह किया गया, लेकिन सुनने वाला कोर्इ नहीं है. घाट पर एक बुलडोजर से दो घंटा काम कराया जाता, तो सफार्इ बेहतर हो जाती. किसी ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया. परिणाम जिस घाट से जल भरा जाता था वह जगह आज बदल गया है.