बड़ा प्यारा सजा है द्वार भवानी, भक्तों की लगी है कतार भवानी… रविवार को मां दुर्गा का पट खुला. पट खुलते ही मां का आंगन श्रद्धालुओं से पट गया. मां दुर्गा की एल झलक पाने के लिए श्रद्धालु लालायित दिखे. आकर्षक पूजा पंडालों में मां दुर्गा की भव्य प्रतिमा स्थापित की गयी है. चास-बोकारो व आसपास के ग्रामीण क्षेत्र में श्रद्धालु मां दुर्गा की भक्ति में लीन हैं.
माता के दरबार में आस्था व श्रद्धा का संगम दिख रहा है. सेक्टर एक बी पानी टंकी, सेक्टर एक सी शॉपिग सेंटर, सेक्टर एक एचएससीएल कॉलोनी, सेक्टर दो सी, सेक्टर तीन चक्की मोड़, सेक्टर तीन बंग भारती, सेक्टर चार जी, सेक्टर चार एफ, सेक्टर आठ, सेक्टर नौ वैशाली मोड़, सेक्टर नौ पटेल चौक, सेक्टर 12 ए, को-आपरेटिव कालोनी, बारी को-आपरेटिव के पूजा पंडाल में श्रद्धालु पूजा की थाली सजा कर पहुंचे.
पूजा पंडालों व मंदिरों में श्रद्धालुओं ने मां दुर्गा से सुख, शांति व समृद्धि की कामना की. मां दुर्गा के मंत्रोच्चारण व भजन से वातावरण में भक्ति रस का समावेश हो गया. शारदीय नवरात्रि में आखिरी के दो दिन अष्टमी और नवमी बहुत महत्वपूर्ण होते हैं. इन दो दिनों में मां की पूजा, जाप, अनुष्ठान, सेवा, उपाय करने से जीवन भर खुशहाली बनी रहती है. इस बार शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तीन अक्टूबर को है.
नवरात्रि का आठवां दिन दुर्गाअष्टमी के नाम से जाना जाता है. इसे महाष्टमी भी कहते हैं. अष्टमी पर मां महागौरी का पूजन कर कई लोग व्रत का पारण भी करते हैं. इस दिन सात शुभ काम जरूर करना चाहिए, मान्यता है इससे नवरात्रि के नौ दिनों का अनंत फल मिलता है. अष्टमी पर संधि काल पूजा बहुत फलदायी मानी गयी है. जो लोग अष्टमी पर व्रत का पारण करते हैं, वह मां के समक्ष हवन जरूर करें.
हवन करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. अष्टमी पर संधि काल में हवन करना शुभ माना गया है. देवी को अष्टमी पर लाल चुनरी में पांच प्रकार के फल, मिठाई, पंचमेवा, एक सिक्का रखकर अर्पित करें. कहते हैं इससे मां अंबे बहुत खुश होती हैं और सुख-समृद्धि का वास होता है. दुर्गाष्टमी पर मां महागौरी को हलवा, पूड़ी, चना और नारियल का भोग अति प्रिय है. ऐसा करने से भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है.
महाष्टमी के दिन दुर्गा मां की पूजा में 16 श्रृंगार की पूर्ण सामग्री देवी के चरणों में अर्पित करना चाहिए. इसके बाद इन्हें सुहागिनों को दान दें. कहते हैं इससे सौभाग्य में वृद्धि होती है. मां दुर्गा में नौ ग्रहों को नियंत्रित करने की शक्ति है. अष्टमी और नवमी तिथि पर शनि की महादशा से मुक्ति पाने के लिए मां भवानी के साथ शनिदेव की भी विधिवत पूजा करें. शास्त्रों के अनुसार इससे शनि देव के अशुभ प्रभाव कम होंगे.
रिपोर्ट : सुनील तिवारी, बोकारो.