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Gandhi Jayanti: बिहार के भागलपुर में बापू ने मनाया था जन्मदिन, एक अपील पर सैकड़ों महिलाओं ने घूंघट त्यागा

Gandhi Jayanti 2022: महात्मा गांधी की जयंती पर भागलपुर के वरिष्ठ पत्रकार रहे दिवंगत मुकुटधारी अग्रवाल ने अपने फेसबुक पर कभी लिखा था कि किस तरह महात्मा गांधी ने भागलपुर में अपना जन्मदिन मनाया था और पर्दा प्रथा का विरोध किया था.

Gandhi Jayanti 2022: आज 2 अक्टूबर 2022 के दिन पूरा भारत हर साल की तरह गांधी जयंती मना रहा है. महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की यादें देश के हर कोने में हैं. ठीक उसी तरह बिहार की बात करें तो यहां की कहानी थोड़ी खास है. चंपारण का इतिहास भला किसे नहीं मालूम. लेकिन बात अंगप्रेदश की करें तो महात्मा गांधी अपने जीवनकाल में कुल 4 बार भागलपुर आए. एकबार उन्होंने अपना जन्मदिन भी भागलपुर में ही मनाया. उन दिनों के गवाह रहे वरिष्ठ पत्रकार मुकुटधारी अग्रवाल आज इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन सोशल मीडिया पर बेहद सक्रिय रहने वाले मुकुटधारी अग्रवाल ने अपने फेसबुक पोस्ट पर कुछ यादों को साझा किया था जो आज भी लोग दुहराते हैं.

56वें जन्मदिन पर भागलपुर में बापू

गांधी जी पहली बार 15 अक्टूबर 1917 को भागलपुर आए. जब छात्र सम्मेलन की उन्होंने अध्यक्षता की. अपने तीसरे दौरे पर गांधीजी जब भागलपुर आए तो संयोगवश उसी दौरान उनका जन्मदिन भी पड़ा. तीसरे दौरे के दौरान गांधी जी 1 और 2 अक्टूबर, 1925 ई. को भागलपुर आए थे. अपना 56वां जन्मदिन भी उन्होंने भागलपुर में ही मनाया. स्व. मुकुटधारी अग्रवाल ने लिखा था कि गांधी जी ने बेहद सादगी के साथ यहां अपना जन्मदिन मनाया था.

पर्दा प्रथा का विरोध किया, विदेशी वस्त्रों को त्यागने की अपील

2 अक्तूबर को भागलपुर के शिव भवन में उनका जन्मदिन बेहद सादगी के साथ मनाया गया था. शिव भवन में महिलाओं की एक सभा की गयी थी जिसमें लगभग 400 महिलाओं ने भाग लिया था. जब महिलाएं यहां आईं तो उनमें काफी महिलाओं ने बड़ा घूंघट ले रखा था. जिसे देख कर गांधी जी काफी दुखी हुए. गांधी जी ने उस सभा में महिलाओं से अपील की थी कि वो मजबूत बनें और पर्दा का त्याग करें. गांधी जी ने लड़कियों को जरूर पढ़ाने की अपील उस सभा में की थी.विदेशी वस्त्र को त्याग कर खादी वस्त्र पहनने का भी आग्रह सबसे किया.

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महिलाओं ने फौरन हटा दिये घूंघट, जलाई कपड़ों की होली

महात्मा गांधी की अपील का असर किस तरह मजबूती से होता था उसका उदाहरण ये है कि भाषण के तुरंत बाद कई महिलाओं ने पर्दा का त्याग उसी जगह कर दिया था. गांधी जी की अपील के बाद कइयों ने खादी पहनने की शपथ भी ली. वहीं गांधी जी ने विदेशी वस्त्र के त्याग की अपील की तो वहीं पर शिव भवन के प्रांगण में विदेशी वस्त्रों की होली जलायी गयी. लोग अपने घरों से विदेशी वस्त्रों को लेकर आए और जला दिया. आज पत्रकार मुकुटधारी अग्रवाल इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनकी लिखी ये यादें युवा पीढ़ी को महात्मा गांधी की महानता का परिचय जरुर कराती है.

Posted By: Thakur Shaktilochan

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