पश्चिम चंपारण. वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के चिउटाहा क्षेत्र में 18 दिनों से बाघ के चोर-सिपाही का खेल वन विभाग के अधिकारियों से खेल रहा है. रेस्क्यू के लिए आये पटना-हैदराबाद के एक्सपर्ट व अधिकारियों के बाघ के अलग-अलग जगह पर आते जाते मिले पगमार्क से पसीने छूट रहे हैं. अब बाघ ने अपना ठिकाना ही बदल लिया है. बाघ कभी मसान नदी को पार कर वन प्रमंडल एक के रघिया वन क्षेत्र के जंगल की ओर अपना रुख कर रहा है. जैसे ही बाघ का मूवमेंट रघिया का ट्रैस मिल रहा है. अधिकारियों की टीम बाघ को रेस्क्यू करने के लिए रघिया की ओर पहुंच रही है, वैसे ही दो तीन घंटे बाद पता चल रहा है कि बाघ वन प्रमंडल दो के चिउटाहा वन क्षेत्र की ओर पहुंच गया है.
बाघ के इस चोर-सिपाही के खेल से एक्सपर्ट टीमों के साथ-साथ अधिकारियों समेत सैकड़ों वनकर्मियों की भी बेचैनी बढ़ते नजर आ रही है. रेस्क्यू के लिए अपनाएं गये सारे प्लान फेल होते नजर आ रहे हैं. बाघ की चहल-कदमी वाली जगहों पर दो-दो पिजरों में बकरियों व भैसों के बछड़े को रख बाघ को लुभाने की कोशिशें भी फेल होती जा रही हैं. बाघ पिजरे के पास रखी बकरियों का शिकार कर अधिकारियों व रेस्क्यू एक्सपर्टों की आंखों के सामने से ओझल हो जा रहा है. ट्रैंकुलाइजर गन को भी मात दे, उसके निशानों से बच गन्ना और धान की फसलों में छिप जा रहा है.
रेस्क्यू के लिए हैदराबाद व पटना से पहुंची एक्सपर्ट की टीम के दिमागों से चोर-सिपाही जैसा खेल खेल रहा है. बाघ के बार बार ठिकाना बदलते देख वीटीआर के अधिकारियों की टीम ने रघिया और चिउटाहा के वन क्षेत्रों के चारों ओर वन कर्मियों की टीम को हाई अलर्ट कर तैनात कर दिया है. वन विभाग के विशेषज्ञों की टीम के नेतृत्व में 150 वनकर्मी रेस्क्यू करने में जुटे हैं. हाथी से गश्ती के साथ-साथ जिप्सी से पेट्रोलिंग कराई जा रही है. निदेशक सुरेंद्र सिंह ने बताया कि बुधवार की देर शाम बाघ घटनास्थल से दूसरी तरफ का रुख कर लिया. इसके बाद उसका लोकेशन ट्रैक करते हुए वनकर्मी शाम से ही उसकी मॉनीटरिंग कर रहे हैं और शीघ्र ही उसका रेस्क्यू कर जंगल के भीतर छोड़ दिया जायेगा. वीटीआर के वन संरक्षक सह क्षेत्र निदेशक डॉ. नेशामणी के ने बताया कि बाघ बहुत ही शातिर दिमाग का लग रहा है. वह दो-दो, तीन-तीन घंटों पर अपना ठिकाना बदल रहा है.