NCERT Research: बच्चों के बगैर हर घर सूना लगता है. लेकिन, अब उसी घर की चहारदीवारी का तनावपूर्ण माहौल असमय बचपन छीन कर बच्चों को बड़ा बना दे रहा है. माता-पिता या परिवार के अन्य सदस्यों के गलत व्यवहार का असर बच्चों पर पड़ रहा है. एनसीइआरटी की ओर से स्कूली बच्चों के बीच कराये गये मेंटल हेल्थ सर्वे 2022 इसका खुलासा हुआ है. बिहार सहित देश के 28 राज्यों में छठवीं से 12वीं क्लास के तीन लाख 79 हजार 842 छात्र-छात्राओं पर सर्वे के बाद एनसीइआरटी ने रिपोर्ट जारी की है. इसमें 47 प्रतिशत बेटियां, तो 43 प्रतिशत बेटों ने घर के वातावरण से प्रभावित होने की बात कही है.
भारतीय परिवारों में तनाव का बच्चाें पर पड़ने वाले असर पर यूनिवर्सिटी ऑफ हर्टफोर्डशायर ने भी शोध किया है. इसकी रिपोर्ट में चिंताजनक तथ्य सामने आये हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय परिवारों का तनावपूर्ण माहौल बच्चों को मानसिक तौर पर बीमार बनाता है. बड़े होकर वे बॉर्डरलाइन पर्सनॉलिटी डिसऑर्डर का शिकार हो जाते हैं. उनमें ऐसा व्यक्तित्व विकसित होता है, जो खुद को महत्व नहीं दे पाते.
आरबीबीएम कॉलेज की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ अंकिता ने बताया कि किसी बच्चे के लिए उसके माता-पिता और उसका परिवार उसकी पूरी दुनिया होते हैं. यदि किसी के परिवार में वातावरण अच्छा नहीं हो, तो इसका सीधा असर बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है. जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफल होने की संभावना कम होती है. सफल होने पर हर रिश्ते के प्रति ऐसे बच्चे गंभीर रहते हैं. यह कह सकते हैं कि किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास में उसके जीवन के प्रथम पांच वर्ष अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं. जब बच्चा पैदा होता है, तो उसका मस्तिष्क कोरे कागज के समान होता है.
सर्वे का आधार-लड़का-लड़की (%)
कोई परेशानी नहीं-56-53
इमोशनल चेंजेज-20-25
फाइनेंसियल प्रॉब्लम-10-09
चेंजेज इन बिहेवियर-06-06
घर में पिटाई या डांट-02-03
गुस्सा-01-0.1
रिपोर्ट: धनंजय पांडेय