बांका: शहर के जगतपुर स्थित दुर्गा मंदिर में शारदीय नवरात्र की पूजा विधि-विधान से की जा रही है. यहां बोधन कलश से ही भक्तिमय वातावरण बन जाता है. गुरुवार को बंगाली पूजन पद्धति एवं रिवाज से मां दुर्गा की ननद छटपटो का आगमन पूजा विधि पूर्वक किया गया. ग्रामीणों के मुताबिक यहां बोधन कलश के साथ ही चांदन नदी से देवी छटपटो के कलश स्वरूप को स्थापित कर मंदिर में उनका आह्वान किया जाता है. इसके बाद सात कौड़ी लुटाया जाता है.
मंदिर में सात कौड़ी लुटाने की परंपरा पुरानी है. बताया जाता है कि कौड़ी जिसके भाग में आता है, उसे शुभ माना जाता है और देवी के असीम अनुकंपा उनके और उनके परिवारों पर पड़ती है. इस कौड़ी को सिंदूर के किये में रखी जाती है. इस मौके पर मेढ़पति केशव चंद्र सिन्हा, मानिक रंजन, अंकित कुमार सहित अनय शहरवासी मौजूद थे.
युवा कार्यकर्ता अंकित ने बताया कि छटपटो देवी की यह मान्यता है कि जब दुर्गा पूजा आरंभ होता है तो देवी दुर्गा पहले बोधन को भेजती है. बोधन यहां पूजा-भाव देखर यहीं विभोर होकर मग्न हो जाते हैं और देवी दुर्गा को सूचित करना भूल जाते हैं. उसके बाद देवी दुर्गा अपनी ननद यानी छटपटो देवी को भेजती है कि देखकर आओ की बोधन कहां है और पूजा की तैयारी कैसी चल रही है. छटपटो देवी पता कर दुर्गा माता को यह सूचना देती है कि पूजा में श्रद्धालु भक्ति भाव से जुड़े हैं. आपके स्थल को स्वच्छ व पूजा के अनुसार तैयार कर दिया गया है. इसके बाद छटपटो का यह समाचार पाकर देवी दुर्गा सप्तमी पूजा के दिन यहां पधारती हैं, उसके बाद दशवीं पूजा तक वह मंदिर में ही विराजमान होती हैं और विधि पूर्वक पूजा को स्वीकार करती हैं.