रांची: कोरोना काल के बाद हार्ट रोग के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है. वृद्ध और वयस्क लोगों के साथ साथ बच्चे भी तेजी से इस रोग के शिकार हो रहे हैं. ऐसे में जरूरी है कि हम अपना दिल संभाल कर रखें और लोगों को भी जागरूक करें. तेजी से बढ़ रहे हार्ट मरीजों को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 2000 को वर्ल्ड हार्ट डे मनाने की घोषणा की थी. जिसके बाद हर वर्ष सितंबर माह के अंतिम रविवार को वर्ल्ड हार्ट डे मनाया जाता है.
वर्ष 2014 से 29 सितंबर को वर्ल्ड हार्ट डे के नाम कर दिया गया. वहीं झारखंड में 30 से 55 आयु वर्ग के 15 से 20 प्रतिशत लोगों को दिल की बीमारी है. राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के कार्डियोलोजी विभाग में 100 हार्ट पेशेंट में से 20 युवा हैं. वहीं पूरे भारत में 26 से 40 साल के युवा हाई रिस्क जोन में हैं.
जमशेदपुर में हार्ट अटैक के 10 मरीजों में से तीन की उम्र 40 वर्ष से कम
पूर्वी सिंहभूम जिले में हार्ट अटैक के 10 मरीजों में से दो की हो जाती है मौत
टीएमएच में हाल ही में 20 साल के युवक को भी हार्ट अटैक का मामला सामने आया है
अब महिलाएं भी हो रही है हार्ट अटैक की शिकार, 10 में से तीन मरीज महिलाएं
झारखंड में 30 से 55 आयु वर्ग के 15 से 20 प्रतिशत लोगों को है दिल की बीमारी
ग्रामीण इलाकों में 10 से 12 प्रतिशत और शहरी क्षेत्र में 20 से 25 प्रतिशत लोगों को हो रही है दिल की बीमारी
300 से 400 मरीजों का इलाज शहर में होता है
अब महिलाएं भी इस बीमारी से अछूती नहीं रहीं. महिलाओं में हार्ट अटैक की संख्या बढ़ रही है. इसका प्रमुख कारण मोटापा व प्रदूषण भी है. जिले में स्थित ब्रहृाानंद हृदयालय, टीएमएच व टेल्को अस्पताल में हर माह लगभग 80 से 90 लोग दिल के मरीज अपना इलाज कराने आते है. जिसमें 8 से 10 मरीज युवा होते हैं. जिसमें 10 प्रतशित महिलाएं शामिल हैं.
तीनों अस्पतालों में हर माह लगभग 100 मरीज से अधिक लोग हार्ट की जांच कराने आते हैं. साथ ही हर माह 30 से 35 बच्चे दिल में छेद की बीमारी का इलाज कराने अस्पताल आते हैं. ब्रहृाानंद में प्रतिदिन 120 से अधिक मरीजों की एंजियोग्राफी होती है, जिसमें 90 मरीजों में दिल की बीमारी पायी जाती है. जानकारी के अनुसार विश्व में हर साल लगभग एक करोड़ लोगों की हार्ट अटैक से मौत हो जाती है. राज्य में सिर्फ जमशेदपुर और रांची में एंजियोप्लास्टी और बाइपास सर्जरी होती है.
आज के समय में कई लोग रात में सोते तो है, लेकिन सुबह उठ नहीं पाते. पता चलता है कि उनकी हार्ट अटैक से मौत हो गयी. इसमें से अधिकतर कारण क्रॉनिक हार्ट फैलियर से उत्पन्न अनियमित धड़कन (अरिथमिया) होता है. ब्रहृाानंद अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर संतोष कुमार गुप्ता ने बताया कि 99 प्रतिशत लोगों में उनका शरीर दिल के क्षतिग्रस्त होने का संकेत देता है, लेकिन वह इसकी अनदेखी करते हैं.
क्रॉनिक हार्ट फेलियर के मामले उन लोगों में भी देखे जाते हैं जिन्हें हृदय रोग के साथ फेफड़ों के रोग, पलमोनरी हाइपरटेंशन या स्लीप एपिनिया होती है. इन लोगों में ह्रदय का आकार बढ़ जाता है और हृदय संकुचन क्षमता कम हो जाती है, तो ऐसे मरीजों में अक्सर नींद में सोते समय दिल की धड़कनें असामान्य हो जाती है जिससे हार्ट फेलियर की आशंका बढ़ जाती है. इस तरह लगभग के एक से दो प्रतिशत लोगों की मौत रात में हार्ट फैलियर से होती है. इनका समय रहते उपचार कराने से क्रॉनिक हार्ट फैलियर (सीएचएफ) की स्टेज में पहुंचने से बचा जा सकता है.
देश में कोरोना काल के दौरान लोगों की लाइफस्टाइल में बड़ा बदलाव आया, जिसकी वजह से कुछ बीमारियां बढ़ी हैं. कोविड महामारी के दौरान रहन-सहन की बदली आदतों की वजह से लोगों में बड़े पैमाने पर ब्लड प्रेशर की समस्या बढ़ी है. ब्लड प्रेशर बढ़ने की वजह से हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार पिछले दो सालों में हार्ट की बीमारियों के मरीजों में करीब 15 फीसदी तक का इजाफा हुआ है.
हार्ट और लंग्स एक साथ मिलकर काम करते हैं. कुछ मामलों में कोरोना ने हार्ट की मांसपेशियों पर असर किया है. हार्ट के फंक्शन को कमजोर किया है. इसका एक कारण यह भी था कि कोरोना के दौरान लोगों ने एक्सरसाइज, खानपान पर ध्यान नहीं दे रहे थे. कई लोग मानसिक तनाव में भी थे. जिसका सीधा असर हार्ट पर पड़ा है.
हार्ट के मरीजों के लिए योग सबसे अधिक लाभदायक है. महिला पंतजलि योग समिति के योग जिला प्रभारी गौरी कर ने बताया कि अगर कोई व्यक्ति सुबह व शाम आधा घंटा योग करता है. तो काफी हद तक उसकी हार्ट की बीमारी ठीक हो जाती है. लोगों को प्राणायम ,अनुलोम-विलोम करना चाहिए. सप्ताह में दो दिन लौकी का जूस पीना भी काफी लाभदायक है
हार्ट अटैक का लक्षण महसूस होने पर मरीज के लिए पहला घंटा सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है. अगर इस पहले घंटे में अस्पताल में मरीज पहुंच जाता है तो 95 प्रतिशत मरीज को बचाया जा सकता है, लेकिन लापरवाही करने पर मरीज की जान भी जा सकती है.
डॉक्टर संतोष कुमार गुप्ता, कार्डियोलॉजिस्ट, ब्रहृाानंद हृदयालय
शुगर, कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर का चेकअप साल में एक बार कराना चाहिए. साथ ही चाहे बीमारी रहे या नहीं सुबह पैदल जरूर चलना चाहिए. ऐसा करने से काफी हद तक दिल की बीमारी को रोका जा सकता है.
डॉ बलराम झा, मेडिसिन विभाग, एमजीएम अस्पताल
लाइफ स्टाइल में बदलाव
काम का दबाव
खान-पान में बदलाव
फास्ट फूड का बढ़ता प्रचलन
खून में अधिक कोलेस्ट्रॉल का होना
अल्कोहल, कोल्ड ड्रिंक, स्मोकिंग, अधिक भोजन करना और काम कम करना
डायबिटीज व हाई ब्लड प्रेशर
भरपूर नींद ले, शारीरिक श्रम करें
फल सब्जियों का अधिक सेवन करें, जंक फूड नहीं खायें
धूम्रपान व शराब के सेवन से बचें, मानसिक तनाव से बचें
रक्तचाप, गुर्दा और मधुमेह की समय-समय पर जांच कराते रहें
Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.