बिहार में जाति आधारित गणना दो चरणों में करायी जायेगी. इसमें अस्थायी और अतिक्रमित जमीन पर निवास करने वाले लोगाें की भी गिनती की जायेगी. सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी जिलों को इसका खाका तैयार कर भेज दिया है. अतिक्रमण कर बनायी गयी झोंपड़ियां, तिरपाल की छत का आवास, पुल-पुलिया के नीचे के परिवार, अस्थायी बाजार आदि स्थानों पर अस्थायी रूप से रहने वाले परिवारों की भी जाति आधारित गणना में गिनती की जायेगी. किसी भी हाल में एक भी परिवार को नहीं छोड़ा जायेगा. सामान्य प्रशासन विभाग ने इसके लिए छोटे समूह बना कर कार्य योजना बनाने को कहा है. इसके तहत सात सौ की आबादी और करीब डेढ़ सौ मकानों का एक ग्रुप होगा.
पहले चरण में मकानों की सूची तैयार की जायेगी. इसके तहत गिनती किये जाने वाले क्षेत्र का निर्धारण किया जायेगा. साथ ही मकानों की भी अलग से नंबर जारी किया जायेगा. गिनती के लिए पहले एक नक्शा तैयार किया जायेगा. इसके आधार पर वार्ड आधार पर आंकड़ों की प्रोसेसिंग की जायेगी. किसी भी गणना ब्लॉक या उप-गणना ब्लॉक की सीमा वार्ड, पंचायत, नगर निकाय के बाहर नहीं होगी. गिनती किये जाने वाले एरिया की पहचान के लिए गांवों एवं शहरों की प्राकृतिक सीमाएं सड़क, नहर, रेलवे लाइन आदि को सीमांकन के रूप में लिया जायेगा. आबादी के आधार पर गिनती के लिए जिम्मेदारी निर्धारित की जायेगी.
ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों में छह ब्लॉकों को मिला कर एक सर्किल का निर्माण होगा. इसके लिए एक सुपरवाइजर की जिम्मेदारी निर्धारित की जायेगी. उन क्षेत्रों में जहां नगर निकाय या पंचायत द्वारा व्यवस्थित ढंग से मकानों का नंबर दिया गया है. उसे सुविधा अनुसार रखा जायेगा. जहां ऐसी स्थिति नहीं होगी वहां नया मकान संख्या दिया जाएगा.
गांव एवं शहरों के सभी भवनों के अंतर्गत मकानों की गिनती एवं नंबर पहले ही तैयार कर लिया जायेगा. मकान संख्या को लाल रंग से हिंदी में लिखा जायेगा. इसे मुख्य दरवाजे के पास या इससे सटे दीवार पर लिखा जायेगा. जिन इलाकों में मकान सुव्यवस्थित ढंग से नहीं बने होंगे, वहां नगर निकाय या स्थानीय पंचायत प्रतिनिधि की सेवा ली जायेगी. नंबर देने के लिए गलियों को उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व के दिशा में एक समान क्रम में लिया जायेगा. किसी भी ब्लॉक में गली या सड़क की सीध में ही नंबर दिये जायेंगे. अपनी इच्छा से किसी अन्य भौगोलिक दिशा में नंबर नहीं दिये जायेंगे.
रेलवे ट्रैक या नहर, नदी व नाला के साथ अलग हिस्से में बने मकानों की भी अलग से संख्या अंकित की जायेगी. जिस निर्माणाधीन भवन की छत बन चुकी हो और वहां लोग रहते हों तो उन भवनों को भी क्रमवार नंबर दिया जायेगा. सब्जी मंडी बाजार में छत के नीचे रहने वालों की भी गिनती होगी. जहां छत हो और कोई दीवार नहीं हो या खम्भों के सहारे फूस, तिरपाल, प्लास्टिक की छत या कंक्रीट की छत बनी हो और फर्श न्यूनतम तीन फीट ऊंचा हो और लोग वहां रात में सोते हों या वहीं वास करते हो तो ऐसे स्थानों को भी नंबरिंग की जायेगी.
सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी गाइडलाइन के मुताबिक किसी भवन में परिवारों के निकलने के लिए पूर्व रूप से निर्धारित अलग-अलग दरवाजा हो, तो उस भवन में मकानों की संख्या निर्धारित पृथक निकास द्वार के संख्या के बराबर होगी. मकानों को नंबर देने का कार्य पूरी जिम्मेदारी से किया जाना चाहिए और किसी भी परिस्थिति में कोई मकान नहीं छूटना चाहिए. मकान गणना के समय घर-घर जाकर गणना का कार्य किया जायेगा ताकि कोई घर या परिवार गणना कार्य से नहीं छूटे.
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जाति गिनती के लिए तैयार प्रोफार्मा में उस परिवार के मुखिया का नाम लिखा जायेगा. परिवार के कुल सदस्यों की संख्या लिखी जायेगी. परिवार का क्रम संख्या लिखा जायेगा. बेघर परिवारों की भी जानकारी एकत्र की जायेगी.