बिहारशरीफ. बिहार में ऊमस भरी गर्मी एक ओर जहां पसीने से तलबतर कर रही हैं. वहीं शरीर में फंगस इंफेक्शन की समस्या भी बढ़ा रही है. ऊमस भरे मौसम और बरसात के कारण स्किन से जुड़ी समस्याएं बढ़ी है. इससे खुजली, लाल चकत्ते और दाद की समस्या तेजी से बढ़ रही है. पावापुरी विम्स अस्पताल और निजी अस्पतालों के ओपीडी में प्रतिदिन एक्जीमा, खुजली, दाद और लाल चक्कते के मरीज पहुंच रहे हैं. वहीं बिहारशरीफ जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल में वर्षों से चर्म रोग विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं हैं. इससे गरीबों मरीजों को फजीहत होना पड़ता है. स्किन रोग विशेषज्ञ डॉ नीरज कुमार बताते हैं कि वैक्टिरियल और फंग इंफेक्शन इस मौसम में तेजी से फैलता है. दाने वाली खुजली ऊसम और मौसम में नमी होने के कारण अधिक तेजी से फैलती है.
गर्मी और ठंड के कारण बच्चों के चेहरे में जख्म जैसे फोड़ा हो जाते हैं. नाक बहनना और बारबार छिंक आना इसका शुरुआती लक्षण हैं. गिला कपड़ा पहनने से, ठंडा पेय, फास्ट फूड और कूलर-एसी के उपयोग करने वाले वैक्टिरियल और फंग इंफेक्शन के शिकार जल्द हो जाते हैं. वहीं नमी के कारण अंडर आर्म में दाद बढ़ता ही जाता है. इस बीमारी से बचने की साफ सफाई की बेहद आवश्यकता है. कम से कम दो बार एंटी वैक्ट्रिरियल पाउडर का उपयोग करना चाहिए. शरीर के पूरा सूखने के बाद ही कोई कपड़ा पहनना चाहिए. गिला बदन कपड़ा पहनने पर एलर्जी की समस्या पनप सकती है.
त्वचा पर जलन या खुजली होना, त्वचा पर लाल चकत्ते दिखाई देना, डेड सेल या त्वचा के ऊपर अन्य खाल का आ जाना, त्वचा पर दाने निकलना, त्वचा का लाल हो जाना, जख्म जैसे दाद हो जाना, नाक बहना और बारबार छिंक आना.
गिला कपड़ा पहनने से बचें, रसायनयुक्त साबून के उपयोग नहीं करें, एंटी वैक्ट्रिरियल पाउडर का उपयोग करें, ठंडा पानी, फॉस्ट फूड और एसी-कूलर का उपयोग नहीं करें.
मौसम और बरसात के कारण वैक्टिरियल और फंग इंफेक्शन वातावरण में काफी संक्रिय हो जाते हैं. इससे स्किन एलर्जी से जुड़े दाद, एक्जीमा, लाल चकत्ते जैसे बीमारी होते हैं. यह बच्चों में फोड़े के रूप में भी निकलते हैं. इसमें साफ-सफाई से लेकर शुरुआत में ही सही इलाज करवाने की जरूरत होती है. – डॉ नीरज कुमार, चर्म रोग विशेषज्ञ, विम्स कॉलेज