Bhagat Singh Jayanti 2022: आज शहीद-ए-आजम भगत सिंह की जयंती मनाई जा रही है. भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर, 1907 को हुआ था और महज 23 वर्ष की आयु में देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिये थे. भगत सिंह एक महान क्रांतिकारी थे, जिन्होंने भारत को आजादी दिलाने में अहम योगदान निभाया और अंग्रजों से जमकर टक्कर ली. उनके इस जुनून को देखकर ब्रिटिश सम्राज्य भी हिल गया था.
कहते हैं कि भगत सिंह के दादा अर्जुन सिंह, उनके पिता किशन सिंह और चाचा अजीत सिंह गदर पार्टी का हिस्सा हुआ करते थे. 13 अप्रैल 1919 में जलियांवाला बाग में नरसंहार देखने के बाद भगत सिंह काफी परेशान हो गए और इसके बाद वह कॉलेज छोड़ आजादी की लड़ाई में कूद गए. आजादी की लड़ाई में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने वाले भगत सिंह की बहादुरी देख अंग्रेज काफी हैरान थे, लेकिन अंग्रेजों को सबक सिखाने में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी.
अपने क्रांतिकारी साथियों सुखदेव और राजगुरु के साथ मिलकर अंग्रेजों की असेंबली में बम फेंक दिया. भगत सिंह के ऐसा करने से बौखलाए अंग्रेजों ने राजगुरु और सुखदेव के साथ भगत सिंह को गिरफ्तार कर लिया और तीनों को फांसी दे दी उस वक्त भगत सिंह केवल 23 के साल थे.
जैसा कि हमने बताया कि भगत सिह के दादा अर्जुन सिंह, उनके पिता किशन सिंह और चाचा अजीत सिंह गदर पार्टी के अभिन्न हिस्से थे. जब 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग में नरसंहार हुआ, तो इसे देखकर भगत सिंह काफी व्यथित हुए थे और इसी के कारण अपना कॉलेज छोड़ वो आजादी की लड़ाई में कूद पड़े थे.
1. सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना है ज़ोर कितना बाजु-ए-कातिल में है..
– भगत सिंह
राख का हर एक कण,
मेरी गर्मी से गतिमान है.
मैं एक ऐसा पागल हूं,
जो जेल में भी आजाद है..
– भगत सिंह
जो भी व्यक्ति विकास के लिए खड़ा है,
उसे हर एक रुढ़िवादी चीज की आलोचना करनी होगी,
उसमें अविश्वास करना होगा, तथा उसे चुनौती देनी होगी..
– भगत सिंह
“बम और पिस्तौल क्रांति नहीं करते. क्रांति की तलवार विचारों के पत्थर पर तेज होती है.” – भगत सिंह
“वे मुझे मार सकते हैं, लेकिन वे मेरे विचारों को नहीं मार सकते. वे मेरे शरीर को कुचल सकते हैं, लेकिन वे मेरी आत्मा को कुचलने में सक्षम नहीं होंगे.”
– भगत सिंह