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Save River: मेदिनीनगर में कोयल के तट पर डंप होता है कचरा, नदी में गिरती है 20 नाले की गंदगी

Save River: सिवरेज-ड्रेनेज सिस्टम को दुरुस्त करने की कोई व्यवस्था नहीं की गयी है. पंपूकल शिवाला घाट, गिरिवर स्कूल चित्रगुप्त मंदिर घाट, इंसानियत घाट, कसाब मुहल्ला, मुस्लिम नगर, पहाड़ी, सुदना इलाके के गंदे नाले का पानी कोयल नदी में गिरता है.

Save River: झारखंड की राजधानी रांची से करीब 175 किलोमीटर दूर स्थित पलामू जिला मुख्यालय मेदिनीनगर की लाइफलाइन कही जाने वाली कोयल नदी (Koel River) लगातार प्रदूषित हो रही है. शहर का कचरा इसके तट पर डंप किया जा रहा है. शहर के अधिकांश गंदे नाले का पानी कोयल नदी में ही छोड़ा जाता है. इसकी वजह से नदी के पानी की गुणवत्ता बद से बदतर होती जा रही है. नदी प्रदूषित हो रही है. पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है.

कोयल नदी के अस्तित्व पर संकट

शहर की गंदगी की वजह से कोयल नदी का अस्तित्व संकट में दिख रहा है. नगर निगम इसके प्रति पूरी तरह से लापरवाह है. सिवरेज-ड्रेनेज सिस्टम को दुरुस्त करने की कोई व्यवस्था नहीं की गयी है. पंपूकल शिवाला घाट, गिरिवर स्कूल चित्रगुप्त मंदिर घाट, इंसानियत घाट, कसाब मुहल्ला, मुस्लिम नगर, पहाड़ी, सुदना इलाके के गंदे नाले का पानी कोयल नदी में गिरता है.

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कोयल नदी में जाती है 20 वार्ड के नाले की गंदगी

नगर निगम क्षेत्र के करीब 20 वार्ड का पानी नाली और नाला के माध्यम से कोयल नदी में गिरता है. इसकी वजह से कोयल नदी का पानी मीठा जहर बनता जा रहा है. पर्यावरण विशेषज्ञ बताते हैं कि नगर निगम ने बड़े पैमाने पर कोयल नदी में जा रहे गंदे पानी को रोकने की दिशा में कदम नहीं उठाया, तो आने वाले समय में लोगों को कई तरह की बीमारियों से जूझना पड़ेगा.

नदी किनारे डंप होता है शहर का कचरा

बता दें कि शहर से निकलने वाली गंदगी को कोयल नदी के किनारे ही डंप किया जा रहा है. कचरा डंप होने से पर्यावरण पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है. निगम प्रशासन सफाई के तमाम दावे करता है, लेकिन कोयल नदी उसके तमाम दावों की पोल खोल देती है.

कोयल के तट पर बनाया जा रहा मेरिन ड्राइव

नदी को स्वच्छ रखने के लिए नगर निगम की ओर से मेरिन ड्राइव का निर्माण कराया जा रहा है. कहा गया है कि स्थानीय लोग कोयल नदी के किनारे सुबह और शाम टहल सकेंगे. मेरिन ड्राइव बन जाने के बाद नदी और उसके आसपास सफाई रहेगी.

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शहर के कूड़ेदान का नहीं हो रहा इस्तेमाल

शहर में दर्जनों जगह कूड़ेदान लगाये गये हैं. सूखा व गीला कचरा के लिए अलग-अलग बॉक्सनुमा स्टैंड लगाये गये हैं. सब बेकार पड़े हैं. शहर के लोग कूड़ेदान में कचरा नहीं डाल रहे. बल्कि, सड़क पर खुले में कचरा फेंककर चले जाते हैं.

सिवरेज-ड्रेनेज का नहीं हुआ काम

सिवरेज-ड्रेनेज सिस्टम के लिए सरकार ने तीन करोड़ रुपये से अधिक की राशि आवंटित की थी. लेकिन, इस राशि का इस्तेमाल नहीं हो सका. यानी सिवरेज-ड्रेनेज का काम नहीं हुआ. राशि वापस चली गयी.

शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में कोयल नदी से होती है जलापूर्ति

मेदिनीनगर शहरी क्षेत्र के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में भी कोयल नदी से जलापूर्ति की जाती है. पानी प्रदूषित होने से बीमारी फैलने की आशंका बढ़ती जा रही है. नदी की साफ-सफाई की व्यवस्था तो नहीं ही की गयी है, नाले के पानी को नदी में गिरने से रोकने की भी व्यवस्था नहीं हो रही है.

रिपोर्ट- चंद्रशेखर सिंह, मेदिनीनगर

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