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Happy Birthday Google: गूगल ने मनाया अपना 24वां जन्मदिन, आखिर कैसे मिला इसे नाम? जानें कुछ रोचक बातें

Happy Birthday Google: गूगल के बारे में सभी जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज इसका 24वां जन्मदिन है. इस स्टोरी में हम आपको Google से जुड़ी कुछ रोचक बातें बताने वाले हैं. इन बातों को शायद आप पहले से न जानते हों.

Happy 24th Birthday Google: Google का इस्तेमाल हम सभी ने किया है. ये हमारे जीवन का एक बहुत ही बड़ा हिस्सा बन चुका है. आज के मॉडर्न समय में दुनिया को गूगल के बिना सोच पाना संभव नहीं. क्या आप जानते हैं गूगल आज अपना 24वां जन्मदिन मना रहा है? अगर नहीं जानते तो इस स्टोरी को पूरी तरह पढ़ें, आज हम आपको गूगल से जुड़ी कुछ रोचक और मजेदार बातें बताने वाले हैं.

हमेशा से आज ही के दिन नहीं मनाया जाता था गूगल का जन्मदिन 

क्या आप जानते हैं कि Google हमेशा से आज ही के दिन अपना जन्मदिन नहीं मनाता आ रहा है. पहले गूगल अपना जन्मदिन 4 सितम्बर के दिन मनाता था लेकिन, अपने नाम को बदलने के बाद कंपनी ने अपने जन्म तिथि में भी बदलाव किया. अब कंपनी 4 सितम्बर के जगह 27 सितम्बर को अपना जन्मदिन मनाता है.

किसने की Google की शुरुआत?

Google के शुरुआत की अगर बात करें तो इसे दो दोस्तों ने मिलकर शुरू किया था. इनमें Larry Page और Sergey Brin शामिल है. Larry Page की मुलाक़ात Sergey Brin से उस समय हुई थी जब Sergey उन्हें कॉलेज का टूर करा रहे थे. मिलने के एक साल के अंदर ही दोनों में पार्टनरशिप हुई और उन्होंने मिलकर एक सर्च इंजन बनाया. पहले उन्होंने इस सर्च इंजन का नाम Backrub रखा था लेकिन, बाद में उसे बदलकर Google कर दिया. गूगल को साल 1998 में कंपनी के रूप में रजिस्टर कराया गया था.

कैसे मिला Google को उसका नाम?

साल 1998 में जब दोनों दोस्तों ने मिलकर Google की शुरुआत कर रहे थे तब उन्होंने इसका नाम ‘Googol’ रखने का फैसला किया था. वे दोनों ही इंजीनियर थे और इस शब्द का मतलब जानते थे. लेकिन बाद में दोनों दोस्तों ने मिलकर एक फैसला लिया और इसका नाम Google रखा. इसके पीछे दोनों दोस्तों का मकसद दुनिया की सभी जानकारी एक ही जगह इकठ्ठा करना था.

Google नाम रखने के पीछे क्या था मकसद 

अगर आप भी जानना चाहते हैं कि आखिर Google को इसका नाम कैसे मिला तो इसके पीछे एक बेहद दिलचस्प कहानी है. रिपोर्ट्स की अगर मानें तो 1920 में गणित के विशेषज्ञ Edward Kasner ने अपने भांजे Milton Sirotta को एक ऐसी संख्या के लिए नाम चुनने में मदद करने के लिए कहा, जिसमें 100 शून्य मौजूद हों. इसके जवाब में Milton ने उन्हें ‘Googo’ नाम का सुझाव दिया था. भांजे के तरफ से इस सुझाव को पाने के बाद Kasner ने इस प्लैटफॉर्म का नाम Googo ही रखने का फैसला किया. बाद में साल 1940 में इस शब्द को डिक्शनरी में जोड़ा गया. बाद में Kasner ने मैथमेटिक्स एंड द इमेजिनेशन नामक एक किताब लिखी उस किताब में उन्होंने पहली बार Googol शब्द का इस्तेमाल किया.

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