17.5 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Navratri 2022: नवरात्र के दूसरे दिन काशी में ब्रह्मचारिणी के दर्शन को उमड़े श्रद्धालु, पुलिसकर्मी तैनात

मंगलवार को चौक क्षेत्र में रामघाट स्थित ब्रह्मचारिणी मंदिर में सुबह से श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. इसमें महिलाओं की तादाद अधिक रही. लोगों ने मां के सामने शीश नवाकर अपने, परिवार व समाज के सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मांगा. दर्शन-पूजन का सिलसिला देर रात (कपाट बंद होने तक) चलता रहेगा.

Varanasi News : शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन माता के ब्रह्मचारिणी स्वरूप के दर्शन का विशेष महत्व है. इस कड़ी में ही मंगलवार को चौक क्षेत्र में रामघाट स्थित ब्रह्मचारिणी मंदिर में सुबह से श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. इसमें महिलाओं की तादाद अधिक रही. लोगों ने मां के सामने शीश नवाकर अपने, परिवार व समाज के सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मांगा. दर्शन-पूजन का सिलसिला देर रात (कपाट बंद होने तक) चलता रहेगा. मंदिर व आसपास भीड़ नियंत्रण व सुरक्षा के लिहाज पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं.

दर्शन-पूजन का विधान प्राचीन काल से

मान्यता है कि माता ब्रह्मचारिणी की मदद से ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि की संरचना की. माता के दर्शन-पूजन से भक्तों के सभी पाप व बाधाएं नष्ट हो जाती हैं. बीते दो वर्षों तक नवरात्र व तीज-त्योहार पर कोरोना का साया रहा लेकिन इस साल परिस्थितियां सामान्य हैं. ऐसे में नवरात्र में लोगों में उत्साह दिख रहा है. ब्रह्मचारिणी के अलावा दुर्गा कुंड स्थित दुर्गा मंदिर समेत अन्य देवी मंदिरों में भी दर्शन-पूजन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. वहीं, ब्रह्मचारिणी मंदिर के महंत पंडित राजेश्वर सागर ने बताया कि आश्विन शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को माता के ब्रह्मचारिणी स्वरूप से दर्शन-पूजन का विधान प्राचीन काल से चला आ रहा है. इनके दर्शन से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है.

पूजन और आरती की जाएगी

उन्होंने बताया कि देवी की उत्पत्ति के संबंध में ऐसी मान्यता है कि जब भगवान शंकर के आदेश पर ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना शुरू की तो पहली बार में संरचना नहीं हो पा रही थी. इसके बाद ब्रह्मा जी भगवान शिव के पास गए. भगवान शिव ने उन्हें शक्ति की आराधना करने को कहा. इसका पालन करते हुए ब्रह्मा जी ने तपस्या की, तब शक्ति प्रकट हुईं और ब्रह्मदंड प्रदान किया. इसी ब्रह्मदंड से सृष्टि की संरचना हुई. इस वजह से माता का नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा. इनकी उपासना करने वालों को धन, धान्य की कभी कमी नहीं होती. देवी की कृपा सदा बनी रहती है. भगवती का पंचामृत से षोडषोपचार पूजन और महाआरती की गई. शाम चार बजे अन्न व फलहार का भोग लगाया गया। रात्रि में भी पूजन और आरती की जाएगी.

Also Read: Navratri Recipes: नवरात्रि व्रत में खाएं हेल्दी खाना, बनाएं मखाने की खीर और सिंघाड़े की चटपटी कढ़ी

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें