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Durga puja: इस देवी मंदिर में होते हैं एक से बढ़कर एक चमत्कार, विज्ञान भी है हैरान

Durga puja 2022: माता मुंडेश्वरी मंदिर में भक्तों के आंखों के सामने चमत्कार होता है. मान्यता है कि भक्तों के द्वारा सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना यहां पूरी होती है. मनोकामना पूरी होने के बाद भक्त यहां बकरे की बली देतें है. इस मंदिर में बलि की प्रकिया थोड़ी अलग है.

Durga puja 2022: बिहार भारत के इतिहास के सबसे स्वर्णिम पन्नों में लिपटा हुआ है. रामायण काल में इसी धरती पर जन्मी थीं देवी सीता.महाभारत युग में यहीं राजा जरासंध ने राज किया था. यहां कई ऐसे मंदिर है, जो खुद में ऐसे रहस्य समेटे हुए है. जिसे विज्ञान भी आज तक नहीं समझ पाया है. दरअसल, हम बात कर रहे हैं कैमूर स्थित माता मुंडेश्वरी मंदिर के बारे में. इस मंदिर का जिक्र मार्केण्डेय पुराण में भी है. देवी के इस मंदिर में भक्तों को एक नहीं बल्कि दो-दो चमत्कार देखने को मिलता है.

हिंदू ही नहीं अन्य धर्मों के लोग भी बलि देने आते हैं

माता मुंडेश्वरी मंदिर में भक्तों के आंखों के सामने चमत्कार होता है. मान्यता है कि भक्तों के द्वारा सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना यहां पूरी होती है. मनोकामना पूरी होने के बाद भक्त यहां बकरे की बली देतें है. इस मंदिर में बलि की प्रकिया थोड़ी अलग है. यहां पशु बलि की सात्विक परंपरा है. यहां बलि में बकरा चढ़ाया तो जाता है, लेकिन उसका जीवन नहीं लिया जाता. यह चमत्कार भक्तों के आंखों के सामने ही होता है. बकरे को देवी के सामने चढ़ाया जाता हो, जिसके बाद बकरे की सांसे थम जाती है. लेकिन पलभर के बाद ही बकरे में जान वापस आ जाती है. बकरे की सांसे दोबारा चलने लगती है. इस मंदिर में केवल हिंदू ही नहीं अन्य धर्मों के लोग भी बलि देने आते हैं.

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शिवलिंग बदलते रहता है रंग

माता मुंडेश्वरी मंदिर का जिक्र मार्केण्डेय पुराण में भी है. कहा जाता है कि यहीं पर माता मुंडेश्वरी ने शुंभ-निशुंभ के सेनापति चण्ड और मुण्ड का वध किया था. चंड और मुंड का वध करने के बाद ही देवी का नाम मुंडेश्वरी पड़ा था. देवी के इस मंदिर में प्राचीन पंचमुखी शिवलिंग भी मौजूद है.शिवलिंग का चमत्कार आज भी भक्तों को देखने को मिलता है. शिवलिंग के बारे में कहा जाता है कि इसका रंग सुबह, शाम और दोपहर में बदलते रहता है. भक्तों के आंखों के सामने ही पंचमुखी शिवलिंग का रंग बदल जाता है. यह चमत्कार आंखों के सामने जब होता है, तब आप यकीन नहीं कर पाते हैं कि आप 21वीं शताब्दी में हैं.

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अष्टाकार गर्भगृह में विराजती हैं देवी मुंडेश्वरी

बता दें कि यह मंदिर कैमूर के पंवरा पहाड़ी के शिखर पर स्थित है. जिसकी ऊंचाई लगभग 600 फीट है. पुरातत्वविदों के अनुसार यहां से प्राप्त शिलालेख 389 ई. के बीच का है. मंदिर परिसर में कुछ शिलालेख ब्राह्मी लिपि में हैं. मंदिर का अष्टाकार गर्भगृह है. जिसमें देवी विराजती हैं. मंदिर में मां मुंडेश्वरी वाराही रूप में विराजमान है,जिनका वाहन महिष है. दिर में प्रवेश के चार द्वार हैं जिसमे एक को बंद कर दिया गया है.

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