कोरोना महामारी ने दो साल तक भारत समेत समूची दुनिया में पर्यटन को तबाह रखा था, पर अब धीरे-धीरे अंतरराष्ट्रीय और घरेलू पर्यटन में गतिशीलता आ रही है. अनेक देश तो अब कोविड टीकाकरण के प्रमाणपत्र के बिना भी वीजा देने लगे हैं. जहां तक भारतीय पर्यटकों की बात है, तो वे बाहर, विशेषकर आसपास के देशों दुबई, सिंगापुर, मलेशिया, श्रीलंका आदि भी जा रहे हैं तथा घरेलू पर्यटन तो बहुत ही अच्छी स्थिति में है.
यह कहा जा सकता है कि विदेशी पर्यटन में 50 से 70 प्रतिशत तक रिकवरी हो चुकी है, जो निश्चित ही उत्साहजनक है, लेकिन जो विदेशी पर्यटक हमारे यहां आते हैं, उस मोर्चे पर स्थिति कुछ निराशाजनक है. मेरी राय में इसकी वजह यह है कि हम लोग विदेशों में ठीक से इस बात का प्रचार नहीं कर पा रहे हैं कि भारत आना हर तरह से सुरक्षित है. पहले की तरह बड़ी संख्या में पर्यटक तभी आयेंगे, जब हम उन्हें आश्वस्त कर सकेंगे. हालांकि पर्यटन उद्योग को भी इस प्रयास में लगना होगा और ऐसा हो भी रहा है, पर इसमें सरकार की भूमिका सबसे प्रमुख है.
बीते दिनों धर्मशाला में पर्यटन मंत्रियों की बैठक में यह आशा जतायी गयी है कि हमारा पर्यटन उद्योग 2024 की पहली छमाही तक महामारी पूर्व के स्तर पर आ जायेगा. इस आशा का आधार है. आप घरेलू पर्यटन को देखें. धीमी गति से ही सही, अंतरराष्ट्रीय पर्यटन में भी वृद्धि हो रही है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस साल के शुरुआती तीन महीनों में पिछले साल इसी अवधि की तुलना में 155.9 प्रतिशत अधिक विदेशी पर्यटक आये हैं.
यह आंकड़ा इसलिए उत्साहजनक है क्योंकि 2021 में जनवरी से दिसंबर के बीच जो विदेशी पर्यटक आये थे, उनकी संख्या 2020 की तुलना में 48.6 फीसदी कम थी. इसलिए 2030 तक सकल घरेलू उत्पाद में पर्यटन की भागीदारी 250 अरब डॉलर करने का लक्ष्य पाना कोई मुश्किल नहीं है. घरेलू उड़ानें महामारी के पहले के स्तर पर आ चुकी हैं. घरेलू पर्यटन का हिसाब-किताब भी लगभग महामारी से पहले की स्थिति में है.
केंद्र सरकार की अनेक पहलों के अलावा राज्य सरकारों ने भी अपने पर्यटन स्थलों, मेलों और उत्सवों को अच्छी तरह से प्रचारित किया है, जिससे लोग आकर्षित हो रहे हैं. अच्छे होटलों, यातायात की बढ़िया सुविधा, इंफ्रास्ट्रक्चर में बेहतरी जैसे कारक भी बहुत अहम हैं. कई तरह के टूर सर्किट को बनाया गया है, ट्रेनों की विशेष व्यवस्था हुई है. यह बहुत सराहनीय है कि हम पर्यटन के माध्यम से अपने देश को निकट से जान-समझ रहे हैं. अब अगर विदेशी सैलानियों का आना भी बढ़ जाए, तो पर्यटन विकास की गति बहुत तेज हो जायेगी.
निश्चित रूप से महामारी के गंभीर झटके के बाद पर्यटन का बढ़ना उत्साहित करता है, पर हमें इसी पर संतोष नहीं कर लेना चाहिए. विदेशी पर्यटकों के आने से हम विदेशी मुद्रा में कमाई करते हैं तथा विभिन्न प्रकार के उत्पादों की बिक्री करते हैं, जो रोजगार का उल्लेखनीय माध्यम हैं. साथ ही, हमें अपनी सांस्कृतिक समृद्धि को विश्व के समक्ष रख पाने का अवसर मिलता है. सरकार ने वीजा प्रक्रिया को सरल बनाकर बहुत सराहनीय कार्य किया है.
कई देशों के नागरिकों के लिए ऑनलाइन वीजा की व्यवस्था से निश्चित ही पर्यटकों को सहूलियत हो रही है. जिस प्रकार से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ‘इनक्रेडिबल इंडिया’ का व्यापक प्रचार अभियान चला था, वैसी पहल की आज आवश्यकता है. बीते पांच-दस वर्षों में हर क्षेत्र में जो इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास व विस्तार हुआ है, वह पर्यटन उद्योग को बड़ा आधार दे सकता है. किसी भी साधन व माध्यम से यात्रा करना अपेक्षाकृत आसान हुआ है, यह हम सभी के अनुभव की बात है. फिर भी सुधार की जरूरत है. उदाहरण के लिए, अधिक बारिश होने पर अनेक रास्तों में लोग घंटों फंसे रह जाते हैं. ऐसी मुश्किलों का समाधान बहुत आवश्यक है.
पर्यटन विकास में राज्य सरकारों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है. नये पर्यटन स्थलों की पहचान करना, अपने मेलों और उत्सवों को प्रचारित करना उनका काम है. ऐसा कर वे घरेलू और विदेशी दोनों तरह के पर्यटकों को आकर्षित कर सकते हैं. इस उद्योग में निजी क्षेत्र और स्वरोजगार में लोगों की व्यापक भागीदारी है.
उनके साथ सरकारों को अधिक सहकार के लिए प्रयास करना चाहिए. कुछ राज्य ऐसे हैं, जो क्षेत्र में सक्रिय निजी उपक्रमों और ऑपरेटरों के साथ मिल कर काम करते हैं तथा समय-समय पर सम्मेलनों और बैठकों का आयोजन भी होता है. अन्य राज्य भी ऐसा कर सकते हैं. यह तो स्थापित तथ्य है कि हमारे देश में पर्यटन की असीम संभावनाएं है, लेकिन उन्हें साकार करने के लिए सहकार की आवश्यकता है. अगर सभी संबंधित पक्ष मिल-जुल कर काम करें, तो निश्चित ही 2024 में सकल घरेलू उत्पाद में पर्यटन उद्योग का योगदान 150 अरब डॉलर होगा और 30 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा कमाने का लक्ष्य भी पूरा होगा. (बातचीत पर आधारित).
(ये लेखिका के निजी विचार हैं.)