Muzaffarpur के अब सभी स्कूलों में सीएनजी और इलेक्ट्रिक वाहनों का परिचालन होगा. डीजल वाले वाहनों का परिचालन पूरी तरह से बंद होगा. इसके लिए स्कूल संचालकों को यथासंभव अपने डीजल वाहनों को सीएनजी में बदलना होगा. या, उसे हटाकर उसकी जगह नये इलेक्ट्रिक वाहन रखने होंने. स्कूल संचालक उक्त वाहन किराये पर चलवा रहे हों या खुद के वाहन हों, सभी को इस नियम का पालन करना होगा. इस संबंध में परिवहन विभाग ने गाइडलाइन जारी किया है. इसका अनुपालन कराने के लिए जल्द कवायद शुरू होगी. कुछ स्कूलों ने सीएनजी व इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद शुरू भी कर दी है. डीटीओ सुशील कुमार ने बताया कि इस संबंध में मुख्यालय ने गाइडलाइन जारी किया है. इससे पूर्व सभी स्कूलों में बाल परिवहन समिति का गठन होगा, जो सरकार द्वारा स्कूल बसों के लिए जारी मानकों का पालन करायेगी. सभी स्कूल प्रबंधन को इससे अवगत कराने के लिए नोटिस दिया गया है.
गाइडलाइन के नियमों का उल्लंघन पर दायित्व के अनुसार चालक, वाहन स्वामी व स्कूल प्रबंधन पर अलग-अलग अधिकतम एक-एक लाख रुपये तक का जुर्माना होगा. एक ही गलती बार-बार करने पर चालक का लाइसेंस व वाहन का परमिट रद्द कर स्कूल प्रबंधन के विरुद्ध कार्रवाई की अनुशंसा शिक्षा विभाग से होगी. जुर्माना जमा नहीं करने पर डीटीओ कार्रवाई करेंगे.
– वाहन का रंग पीला, सुनहरा भूरे रंग का पेंट कराकर उस पर स्कूल का नाम लिखना है.
– लीज व किराये के वाहन पर ऑन स्कूल डयूटी लिखना है न कि स्कूल बस, स्कूल के नाम पर पंजीकृत वाहन पर लिखा जायेगा ‘स्कूल बस’
– स्पीड गर्वनर, गति अधिकतम 40 किमी प्रति घंटा, फर्स्ट एड बॉक्स, जीपीएस, पैनिक बटन, भीएलटीडी, रिफ्लेक्टिव टेप, ट्रैकिंग डिवाइस अनिवार्य होगा.
– स्कूली वाहन में स्कूल बैग रखने की पर्याप्त सुविधा हो, ताकि बच्चे आराम से बैठ सकें.
– दिव्यांग छात्रों के लिए विशेष सुविधा रखें ताकि उन्हें चढ़ने-उतरने में दिक्कत न हो.
– आठ साल तक के नये वाहन को दो साल, अन्य वाहनों का सालान फिटनेस जारी होगा.
– बस में दो आपातकालीन द्वार, खिड़की के पास ग्रिल, सीसीटीवी लगाना और 60 दिनों का फुटेज स्टोरेज स्कूल प्रबंधन की जिम्मेवारी होगी.
– प्रत्येक स्कूल एक परिवहन प्रभारी रखेंगे, जो प्राचार्य के साथ मानक के अनुपालन की जांच करेंगे.
– किराये के वाहन में मानक अनुपालन के लिए प्रबंधन शपथ पत्र लेगा. उल्लंघन पर वाहन स्वामी पर कार्रवाई होगी.
– स्कूल बस में बच्चों को चढ़ाने-उतारने के लिए प्रशिक्षित परिचारक की प्रतिनियुक्ति, चालक व कंडक्टर की पूरी डिटेल रखनी है.
– स्कूल कैंपस में वाहन के पार्किंग के लिए अलग से व्यवस्था, क्षमता से अधिक नहीं बैठाना.
– बस के अंदर मार्ग, समय सारणी का नक्शा लगना है, आपातकालीन स्थिति के लिए यात्रा करने वाले छात्रों का संपर्क नंबर प्रबंधन को रखना है.
– जहां 2000 से अधिक छात्र हैं, वहां तीन साल के लिए नियंत्राधीन वाहनों का लीज मानक के अनुसार बनेगा.
– लगातार 15 दिनों से अधिक की छुट्टी पर आधे महीने का बस किराया लेना है.
– बस चालक के पास लाइसेंस, गाड़ी का पेपर अपडेट सभी जिम्मेवारी प्रबंधन की होगी. साफ-सफाई चालक व अटेंडेंट को रखनी है.
– अभिभावक की जिम्मेवारी किसी प्रकार की लापरवाही देखें, तो फौरन स्कूल प्रबंधन को सूचित करें.
– अपने बच्चों को स्कूल बस से आने जाने के लिए सावधानी से अवगत कराये.
– स्कूल की बैठक में भाग लें और अपने बच्चों के सुरक्षा के हर पहलु पर बात करें.
– स्कूल शिकायत नहीं सुने, तो इसकी शिकायत डीएम व डीटीओ से करें. अलग-अलग समिति जांच करेगी.
– राज्य स्तरीय समिति इस पर छह माह में कम से कम एक बैठक, प्रमंडल स्तरीय समिति प्रमंडलीय आयुक्त की अध्यक्षता में प्रत्येक तीन माह में एक बैठक करेगी.
– जिला स्तरीय समिति डीएम की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा स्कूल प्रबंधन व परिवहन प्रभारी के साथ प्रत्येक तीन माह में एक समीक्षा करेगी.
– विद्यालय स्तरीय तीन माह में एक बैठक करेगी. इस कमेटी में स्कूल के प्राचार्य अध्यक्ष, समिति में दो अभिभावक, शिक्षक संघ के एक, एमवीआइ, ट्रैफिक इंस्पेक्टर, बस मालिक, शिक्षा विभाग के एक प्रतिनिधि शामिल होंगे.