Bareilly News: समाजवादी पार्टी (SP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की तीसरी बार राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर 29 सितंबर को ताजपोशी होगी. वह पहली बार पारिवारिक कलह के बीच जनवरी 2017 को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे. इसके बाद सपा का 10वां राष्ट्रीय सम्मेलन आगरा में हुआ. उसमें दूसरी बार अखिलेश यादव की ताजपोशी हुई, लेकिन इस बार 29 सितंबर को लखनऊ में राष्ट्रीय सम्मेलन में अखिलेश यादव की तीसरी बार राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर ताजपोशी होगी.
बता दें, 29 सितंबर से एक दिन पहले लखनऊ में ही प्रदेश सम्मलेन है. यूपी की सभी 403 विधानसभा से प्रदेश और राष्ट्रीय सम्मलेन में सक्रिय सदस्यों को बुलाया गया है. हर विधानसभा से प्रदेश सम्मेलन में 60 और राष्ट्रीय सम्मेलन में 40 सक्रिय सदस्य शामिल होंगे. यह सभी 27 सितंबर की शाम से लखनऊ के रमाबाई अंबेडकर मैदान में आयोजित सम्मेलन में शामिल होने के लिए पहुंचने लगेंगे. राष्ट्रीय सम्मेलन में राजनीतिक और आर्थिक प्रस्ताव पास कर केंद्र व यूपी की भाजपा सरकार को निशाने पर लिया जाएगा.
सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने अपने पुराने दल से सितंबर 1992 में सजपा से नाता तोड़ लिया था. उनका कहना था कि, ‘भीड़ हम उन्हें जुटाकर देते हैं और पैसा भी. फिर वे (देवीलाल, चंद्रशेखर, वीपी सिंह आदि) हमें बताते हैं कि क्या करना है, क्या बोलना है. मगर, हम अपना रास्ता खुद बनाएंगे.
चार अक्टूबर 1992 को लखनऊ में मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी बनाने की घोषणा कर दी.चार और पांच नवंबर को बेगम हजरत महल पार्क में उन्होंने पार्टी का पहला राष्ट्रीय अधिवेशन(सम्मेलन) आयोजित किया.
पहले राष्ट्रीय सम्मेलन में मुलायम सिंह यादव सपा के अध्यक्ष, जनेश्वर मिश्र उपाध्यक्ष, कपिल देव सिंह और मोहम्मद आज़म खान पार्टी के महामंत्री बने. मोहन सिंह को प्रवक्ता नियुक्त किया गया, लेकिन बेनी प्रसाद वर्मा को कोई पद नहीं मिला. इससे वह रूठकर घर बैठ गए. सम्मेलन में नहीं आए. मुलायम सिंह ने उन्हें घर जाकर मनाया, फिर सम्मेलन में लेकर आए.
सपा और बसपा ने यूपी में मिलकर चुनाव लड़ा था. बसपा पहले यूपी में आठ से दस सीटें जीतती थी. मगर, 1993 में सपा के साथ गठबंधन करने से बसपा ने 67 सीटों पर विजय प्राप्त की. सपा के साथ सरकार में रही. मगर, मायावती ने समर्थन वापस ले लिया. बताया जाता है कि मायावती को ‘डराने’ के लिए दो जून, 1995 को स्टेट गेस्ट हाउस कांड करवाया गया था. इसके बाद रिश्ते काफी खराब हो गए. मायावती ने समर्थन वापस ले लिया. सपा की सरकार गिर गई. मायावती ने भाजपा के साथ यूपी में सरकार बना ली. सपा ने फिर 2003 और 2012 में सरकार बनाई.
रिपोर्ट: मुहम्मद साजिद, बरेली