Jharkhand News : झारखंड आंदोलन के बौद्धिक अगुवा ईश्वरी प्रसाद को भाकपा माले राज्य कार्यालय में श्रद्धांजलि दी गयी. श्रद्धांजलि सभा के पूर्व ईश्वरी प्रसाद की तस्वीर पर माल्यार्पण कर मौन रखा गया. झारखंड जन संस्कृति मंच के बैनर तले आयोजित कार्यक्रम में उनके बताए रास्ते पर चलने का संकल्प लिया गया. अयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता झारखंड आंदोलनकारी पुष्कर महतो ने की. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माले राज्य सचिव मनोज भक्त ने कहा कि 90 के दशक में झारखंड आन्दोलन में आर-पार का तेवर ईश्वरी प्रसाद जैसे संस्कृति कर्मियों के योगदान से ही संभव हुआ. उन्होंने सांस्कृतिक स्वरूप को गढ़ने का काम किया. वे बौद्धिक अगुवा के रूप में हमेशा याद किए जायेंगे.
सामाजिक सरोकार से जुड़े रहे ईश्वरी प्रसाद
इस कार्यक्रम में मौजूद ईश्वरी प्रसाद के सुपुत्र राहुल ने कहा कि हम सब इनके बताए डहर पर चलकर ही झारखंड की अस्मिता, संस्कृति और पहचान की रक्षा कर सकते हैं. उन्होंने ईश्वरी प्रसाद को याद करते हुए कहा कि नागपुरी गीतों के श्रृंगार रस में वीरता और संघर्ष का पुट बाबा ने भरा था, जो झारखंड आन्दोलन के लिए बारूद साबित हुआ. वाम विचारधारा के कारण ही बाबा जीवन के अन्तिम समय तक सामाजिक सरोकार से जुड़े रहे. एक्टू के प्रदेश सचिव व मजदूर नेता भुवनेश्वर केवट ने कहा कि साथी ईश्वरी प्रसाद मजदूर आन्दोलन और सांस्कृतिक मोर्चा के सेतु थे. जब आजादी और बराबरी को ख़त्म किया जा रहा है. देश की सम्पदा को निजी हाथों में बेचना ही देश भक्ति करार दिया जा रहा है, ऐसे दौर में ईश्वरी प्रसाद का नहीं होना झारखंड की अपूरणीय क्षति है.
हमेशा याद किए जायेंगे ईश्वरी प्रसाद
अध्यक्षीय भाषण में ईश्वरी प्रसाद के जीवन संघर्ष पर चर्चा करते हुए झारखंड आंदोलनकारी पुष्कर महतो ने कहा कि ईश्वरी प्रशाद और उनके सहयोगी रामदयाल मुंडा और बीपी केसरी की जोड़ी झारखंड के हर मोड़ पर याद की जाती रहेगी. श्रद्धांजलि कार्यक्रम को जेवियर कुजूर, सुशीला तिग्गा, सुदामा खलखो, अब्दुल रज्जाक, भीम साहू , सन्तोष मुंडा, सिनगी खलखो, सोहेल अंसारी आदि ने संबोधित किया.