मोतिहारी: पूरे देश में नवरात्रि की तैयारी शुरू हो गई है. कल कलश स्थापना की जाएगी. इसके साथ ही हिंदू धर्म के मानने वाले बहुत से लोग कल से व्रत भी करेंगे. इस दौरान लोग शाकाहारी भोजन ही करते हैं. वहीं, आज बहुत से लोग मांसाहारी खाना खाते हैं तो हम आपको बिहार का स्पेशल डिश बता रहे हैं, जो देश में ही नहीं विदेश में भी प्रसिद्ध है. चाहे तो आज आप इसे खा सकते हैं या घर में भी बना सकते हैं. चंपारण हांडी मटन का एक अलग ही पहचान है, जिसे बिहार के लिट्टी के बाद दूसरा सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाला डिश है, जिसका नाम सुन ही लोगों के मुंह में पानी आ जाता है.
चंपारण हांडी मटन जिसे अहूना मीट भी कहा जाता है. एक ऐसा डिश है, जिसको खाने के बाद लोगों इसके दिवाने हो जाते हैं. ये स्वाद पूरी दुनिया में आपको कही नहीं मिलने वाला है. नॉन वेज व्यंजन की दुनिया में चंपारण के हांडी मटन की एक अलग ही पहचान है. आज पूरे बिहार में कई शहरों में चम्पारण मटन मीट के नाम से मशहूर दुकानें मिल जाएंगे. इस डिश की जड़े पूर्वी चंपारण से सटे नेपाल से भी जुटता है. हांडी मटन नेपाल सीमावर्ती पूर्वी चंपारण के घोड़ासहन से शुरू होकर मोतिहारी में व्यापक रूप पकड़ा, जहां बिहारी ही नहीं दूसरे प्रदेश के लोग भी आकर मटन का स्वाद लेते हैं.
लजीज़ चम्पारण का ये डिश है उससे कहीं ज्यादा लजीज़ उसको बनाने का तरीका है. जहां एक तरफ दुनिया के लगभग सभी Non Veg डिश स्टील या एल्यूमिनियम के बर्तनों में बनाए जाते हैं, तो वहीं हांडी मटन को इसके नामानुसार ही मिट्टी की हांडी में पारंपरिक तरीके से कई मसालों के मिश्रण से बनाया जाता है. जो इसके स्वाद को एक अलग ही पहचान दिलाता है. वहीं, नेपाल में यह मीट खुले बर्तन में बनता है, जबकि चंपारण में इसे मिट्टी के ढक्कन से ढककर आटा से सिलकर बनाया जाता है.
Champaran Handi Mutton बनाने के लिए सबसे पहले मीट को अच्छे से धोकर उसमें मीट की मात्रा के अनुसार प्याज, नमक, सरसों का तेल और अन्य मसालों को डालर उसे अच्छे से मिलेंगे. फिर उसे लगभग एक घंटे तक वैसे ही छोड़ देंगे. इधर मिट्टी की एक साफ हांडी को लेकर उसमे गरम सरसों का तेल डालेंगे और फिर उसमे खड़ा जीरा, खड़ी लाल मिर्च, खड़ा लहसुन और अन्य मसाले डालेंगे और फिर मसालों से मिले मटन को इस हांडी में अच्छी तरह से डाल देंगे.
मसालों से मिले मटन को हांडी में डालने के बाद उसे एक मिट्टी के ही ढक्कन से अच्छी तरह से सील कर देंगे. सील को मजबूत करने के लिए गूथे हुए आटे का उपयोग करेंगे. ध्यान रहे सील इस तरह से करें कि हांडी के अंदर की हवा बाहर नहीं आ पाए. इतना करने के बाद सील हांडी को जलते हुए कोयले पर लगभग 1 घंटे तक पकने के लिए छोड़ देंगे. 1 घंटे पकने के बाद आप उसे उतारकर उसके दिलचस्प स्वाद का आनंद ले सकते हैं.
बता दें कि इतने लजीज़ और स्वादिष्ट नॉन वेज डिश को बनाते समय आपको इसे जल्द से जल्द बनाने की इच्छा होगी, लेकिन ध्यान रहे जल्दबाजी बिलकुल न करें. इसे बनाने में कम से कम 2 से 3 घंटे का समय लगना ही है. बता दे कि चंपारण मीट चंपारण से ही निकल देश व दुनिया में फैली है. बिहार के लिट्टी-चोखा के साथ चंपारण मटन आदि डिश देश के कोने-कोने में परचम लहरा रहा है. बिहार व देश के बड़े शहरों में भी चंपारण मीट (Champaran Meat) एक ब्रांड का रूप ले चुका है.