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Tata Steel Merger: टाटा स्टील ने क्यों किया अनुषंगी कंपनियों के विलय का फैसला

टाटा स्टील के निदेशक मंडल ने अपनी सात अनुषंगी कंपनियों - टाटा स्टील लॉन्ग प्रोडक्ट्स, टाटा मेटालिक्स, द टिनप्लेट कंपनी ऑफ इंडिया, टीआरएफ लिमिटेड, इंडियन स्टील एंड वायर प्रोडक्ट्स, टाटा स्टील माइनिंग और एसएंडटी माइनिंग के अपने साथ विलय को मंजूरी दी थी.

Tata Steel Merger: टाटा स्टील के साथ सात इकाइयों के विलय से प्रबंधन का सरलीकरण होगा और कंपनी कारोबार पर अधिक बेहतर तरीके से ध्यान केंद्रित कर सकेगी. टाटा स्टील के मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) कौशिक चटर्जी ने यह बात कही है.

टाटा स्टील के निदेशक मंडल ने शुक्रवार को अपनी सात अनुषंगी कंपनियों – टाटा स्टील लॉन्ग प्रोडक्ट्स, टाटा मेटालिक्स, द टिनप्लेट कंपनी ऑफ इंडिया, टीआरएफ लिमिटेड, इंडियन स्टील एंड वायर प्रोडक्ट्स, टाटा स्टील माइनिंग और एसएंडटी माइनिंग के अपने साथ विलय को मंजूरी दी थी.

चटर्जी ने कहा, हम पिछले कुछ समय से टाटा स्टील में सरलीकरण कर रहे हैं. इसका उद्देश्य प्रबंधन के सरलीकरण को बढ़ावा देने के लिए टाटा स्टील के अंदर अनुषंगी कंपनियों के कारोबार को मजबूत करना और अपने कारोबार पर अधिक बेहतर तरीके से ध्यान देना है.

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चटर्जी टाटा स्टील के कार्यकारी निदेशक भी हैं. उन्होंने कहा कि भूषण स्टील के सफल एकीकरण के बाद यह अगला स्वाभाविक कदम था. भूषण स्टील का एकीकरण अधिक जटिल था. टाटा स्टील ने 2018 में अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी कंपनी बामनीपाल स्टील लिमिटेड (बीएनपीएल) के जरिये भूषण स्टील लिमिटेड (बीएसएल) में 72.65 प्रतिशत की नियंत्रक हिस्सेदारी का अधिग्रहण पूरा किया था.

टाटा स्टील लिमिटेड ने दिवाला प्रक्रिया के तहत नीलामी में कर्ज में डूबी भूषण स्टील के अधिग्रहण की बोली जीती थी. चटर्जी ने कहा कि विलय वाली सभी कंपनियों का भविष्य अच्छा है. उन्होंने कहा कि ये कारोबार टाटा स्टील की उद्यम रणनीति का हिस्सा हैं और इनमें से कुछ को तेजी से विकसित करने के लिए कंपनी के पास अधिक लचीलापन है. टाटा स्टील के अनुसार, यह विलय समूह के होल्डिंग ढांचे के सरलीकरण का भी हिस्सा है.

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