मुंबई : अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा गुरुवार को ब्याज दरों में 0.75 फीसदी बढ़ोतरी करने के ऐलान के बाद अब भारत में भी आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) की ओर से नीतिगत ब्याज दर रेपो रेट में बढ़ोतरी करने के आसार दिखाई दे रहे हैं. भारत के अर्थशास्त्रियों का कहना है कि मौजूदा स्थिति में आरबीआई के पास रेपो रेट में अगले हफ्ते 0.50 फीसदी की एक और वृद्धि करने के सिवाय कोई दूसरा चारा बचा नहीं रह गया है. हालांकि, उनका यह भी कहना है कि आरबीआई इस साल के अंतिम महीने दिसंबर तक रेपो दर को 6.25 फीसदी के स्तर तक ले जाने की कोशिश करेगा. बता दें कि रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय बैठक 28 सितंबर से शुरू होगी और रेपो रेट 30 सितंबर को पेश की जाएगी.
भारत के विभिन्न बैंकों एवं विश्लेषक फर्मों से जुड़े अर्थशास्त्रियों ने कहा कि आरबीआई की मौद्रिक नीति निर्धारण समिति (एमपीसी) 30 सितंबर को रेपो रेट में 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी करने का फैसला कर सकती है. ऐसा होने पर रेपो रेट बढ़कर 5.90 फीसदी हो जाएगी. देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई (भारतीय स्टेट बैंक) के समूह मुख्य अर्थशास्त्री सौम्य कांति घोष ने एक नोट में कहा कि मौजूदा विदेशी झटकों को देखते हुए रेपो दर में आधा फीसदी की वृद्धि होना तय लग रहा है. उन्होंने कहा, ‘हमारा मत है कि रेपो दर में वृद्धि का दौर इसे 6.25 फीसदी तक ले जा सकता है. दिसंबर में होने वाली नीतिगत समीक्षा में इसमें 0.35 फीसदी की एक और वृद्धि होने की संभावना है.’
आरबीआई ने बढ़ती हुई मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए इस साल के मई महीने से रेपो रेट में इजाफे का रुख अपनाया हुआ है. इस दौरान रेपो रेट दर 4 फीसदी से बढ़कर 5.40 फीसदी पर पहुंच चुकी है. यूबीएस सिक्योरिटीज इंडिया की मुख्य अर्थशास्त्री तन्वी गुप्ता जैन ने भी रेपो रेट में वृद्धि का सिलसिला जारी रहने की उम्मीद जताते हुए कहा है कि अगले सप्ताह एमपीसी की बैठक में 0.50 फीसदी की वृद्धि की जा सकती है. इसके साथ ही उन्होंने दिसंबर तक रेपो रेट के बढ़कर 6.25 फीसदी हो जाने की भी संभावना जताई.
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बार्कलेज इंडिया के मुख्य अर्थशास्त्री राहुल बजोरिया ने भी एमपीसी की बैठक में रेपो रेट आधा फीसदी वृद्धि की संभावना जताते हुए कहा कि चालू वित्त वर्ष के अंत तक जिंस कीमतों के ऊंचा रहने की स्थिति में रेपो रेट बढ़कर 6.75 फीसदी तक जा सकती है. बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने भी कहा विदेशी मुद्रा बाजार में हाल के घटनाक्रम से एमपीसी को ब्याज दर में 0.50 फीसदी की वृद्धि का फैसला लेने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि अन्य बाजारों के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए आरबीआई की एमपीसी के सामने रेपो रेट में वृद्धि के अलावा कोई चारा नहीं है. गोल्डमैन सैक्स के शांतनु सेनगुप्ता ने भी एमपीसी की आगामी बैठक में 0.50 फीसदी की वृद्धि की संभावना जताई है, जबकि दिसंबर में उन्होंने 0.35 फीसदी वृद्धि की बात कही है. इसके साथ ही, उन्होंने अप्रैल 2023 तक रेपो रेट के बढ़कर 6.75 फीसदी हो जाने की संभावना भी जताई.
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