Lalu Prasad Phulwaria village फुलवरिया का दिन डेढ़ दशक के बाद बहुरा है. तीन दिनों में गांव की तस्वीर बदल गयी है. शहरों की तरह फुलवरिया फिर से चमक उठा है. सरकार की कृपा बरसते ही प्रशासन के अधिकारियों ने दिन-रात एक कर फुलवरिया को चकमा दिया है. फुलवरिया का माहौल बदल गया है. गांव के लोगों को भरोसा था कि जब सरकार बनेगी तभी गांव की खोयी हुई गरिमा भी लौटेगी. ठीक वही हुआ. आज गांव की सड़क, अस्पताल, ब्लॉक, रजिस्ट्री कार्यालय, थाना, डाकघर, बैंक, पावर सब स्टेशन, पानी आपूर्ति, पाइप लाइन सबकुछ दुरूस्त हो चुका है. फुलवरिया वर्ष 2005 की तरह फिर से अपने गरिमा को वापस पा लिया है. अब अधिकारियों की गाड़ियां भी दिन रात दौड़ने लगी है. जैसा कि 1990 की दशक में फुलवरिया राज्य के सता का केंद्र बिंदु हुआ करता था. तब स्मार्ट सीटी के तौर पर विकास किया गया था. सड़क से लेकर हेलीपैड, तालाब से लेकर हाइस्कूल तक सभी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करायी गयी. जब लालू प्रसाद रेलमंत्री बने तो गांव को रेलवे से भी जोड़े. हथुआ-भटनी रेल लाइन की मंजूरी दी गयी. तब फुलवरिया से हाजीपुर के बीच एक सवारी गाड़ी चलायी गयी. जो आज पंचदेवरी से चल रही है.
सत्ता जाने के बाद फुलवरियां गांव की सड़कें बेजार हो गई थी. गांव के लोगों को बिजली, पानी विभिन्न समस्याओं को लेकर धरना प्रदर्शन करना पड़ता था. सड़क जर्जर होकर गड्ढा में तब्दील हो गया था. सरकारी कार्यलय भी जैसे-तैसे चल रहे थे. मरछिया देवी रेफरल अस्पताल में प्राथमिक उपचार से अधिक कोई इंतजाम नहीं था. लोग गांव के बदहाली पर आंसू बहा रहे थे.
अब बिहार में युवा डिप्टी सीएम के पद पर गांव को बेटा तेजस्वी हैं. जिनसे युवाओं के भविष्य के साथ धराशाई हुई विकास को एक नई जान मिल गई है. ग्रामीण बीरन चौधरी, शिव बालक चौधरी, बिंदेश्वरी साह, जनक पांडेय की आंखों में खुशी के आंसू दिखी. बताते है कि गांव में लालू जी जब खेलने निकलते थे तो हम लोग साथ होते थे. लालू जी ने जन्म धरती का कर्ज चुकाया था. उसके बाद तेजस्वी ने गांव की प्रतिष्ठा को लौटा दिया है. लालू जी के बिरासत को ये संभालेंगे.